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China-America: चीन पर नकेल कसने जा रहा अमेरिका, भारत की तरह चलेगा यह दांव, तिलमिला उठेगा 'ड्रेगन'

China-America: चीन भले ही विस्तारवाद की नीति के तहत गरीब देशों को कर्ज के जाल में फंसाने के कारनामों में लगा रहता हो, लेकिन कोरोना के बाद खुद उसकी इकोनॉमी भी चरमरा रही है। ऐसे में अमेरिका के इस नए दांव से उसे निश्चित ही बहुत नुकसान होगा।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: October 08, 2022 10:46 IST
Joe Biden with Xi jinping- India TV Hindi
Image Source : FILE Joe Biden with Xi jinping

Highlights

  • चीन को टूल्स की बिक्री पर लगाया गया बैन
  • 'ड्रैगन' की 30 कंपनियां निगरानी सूची में शामिल
  • यूएस ने सहयोगी देशों से मांगा साथ

China-America: विस्तारवादी चीन की चाल पर नकेल कसने के लिए अमेरिका भी अब भारत की तरह नयां दांव खेलने जा रहा है। अमेरिका अब खराब अर्थव्यवस्था से जूझ रहे चीन की आर्थिक कमर तोड़ने में लगा है। इसके तहत अब तक जिस सेमीकंडक्टर (Semiconductor Chip) का निर्माण चीन में किया जा रहा था, उसका निर्माण अमेरिका में किया जाएगा और यूएस इस मामले में चीन पर से अपनी निर्भरता बिल्कुल खत्म करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निर्देश पर शुक्रवार को सेमीकंडक्टर से जुड़े नए नियम जारी कर दिए गए।  

चीन को टूल्स की बिक्री पर लगाया गया बैन

बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी सरकार (USA) के इस फैसले के बारे में शुक्रवार को जानकारी दी। प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी टूलमेकर्स केएलए कॉर्प, लैम रिसर्च कॉर्प और एप्लाइड मैटेरियल्स इंक की ओर से भेजे गए टूल्स की मदद से चीन में सेमीकंडक्टर (Semiconductor Chip) का निर्माण किया जाता है। अब नए नियमों मे चीन (China) को इस तरह के टूल्स या चिप की बिक्री से पूरी तरह रोक दिया गया है। बाइडेन प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक इस कदम से चीन में सेमी-कंडक्टर के निर्माण की गति धीमी होगी, जिसका असर वहां की अर्थव्यवस्था पर होगा। चीन भले ही विस्तारवाद की नीति के तहत गरीब देशों को कर्ज के जाल में फंसाने के कारनामों में लगा रहता हो, लेकिन कोरोना के बाद खुद उसकी इकोनॉमी भी चरमरा रही है। ऐसे में अमेरिका के इस नए दांव से उसे निश्चित ही बहुत नुकसान होगा। 

'ड्रैगन' की 30 कंपनियां निगरानी सूची में शामिल

सूत्रों के मुताबिक अमेरिका (USA) ने 'ड्रैगन' के खिलाफ एक और कड़ा कदम उठाते हुए उसकी मेमोरी चिप बनाने वाली टॉप-30 कंपनियों को एक खास लिस्ट में शामिल कर लिया है। असल में अमेरिका इन कंपनियों के संचालन की जांच करना चाहता है लेकिन चीन (China) इसकी इजाजत नहीं देता। इसलिए अमेरिकी सरकार ने इन 30 कंपनियों को अनवेरिफाइड लिस्ट में शामिल किया है। माना जा रहा है कि इस लिस्ट में शामिल होने वाली कंपनियों को अगले कुछ दिनों में ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। 

यूएस ने सहयोगी देशों से मांगा साथ

सूत्रों के मुताबिक 'ड्रैगन' (China) को घेरने के लिए अमेरिका (USA) ने सहयोगी देशों से साथ मांगा है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यूएस की तरह बाकी सहयोगी देश भी अपने यहां सेमीकंडक्टर के मामले में चीन पर सख्ती करें और आवश्यक पाबंदी लगाएं। अमेरिका को डर है कि अगर इस मामले में उसे सहयोगी देशों का साथ नहीं लिया तो चीन के खिलाफ उठाया गया उसका ये कदम विफल भी हो सकता है। 

भारत पहले ही कर चुका है पहल

खास बात ये है कि चीन (China) के खिलाफ अमेरिका (USA) जिन कदमों को अब उठाने की कोशिश कर रहा है, उनकी पहल भारत पहले ही कर चुका है। चीन के खिलाफ बने माहौल को देखते हुए मोदी सरकार ने भारत को दुनिया का सेमीकंडक्टर (Semiconductor Chip) हब बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसके लिए ताइवान के सहयोग से देश में सेमी-कंडक्टर फैक्ट्रियां लगाने की कोशिश हो रही है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस कदम से भारत सेमी-कंडक्टर के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा, साथ ही चीन की इकोनॉमी को भी करारा झटका लगेगा।

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