प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान ने डिफेंस सेक्टर में भी क्रांति ला दी है। जो हिंदुस्तान रक्षा उपकरणों के लिए पहले दूसरे देशों पर निर्भर था, वही अब दुनिया के 75 देशों में रक्षा उपकरणों का सप्लायर बन गया है। हाल ही में भारत ने देश भर में कई डिफेंस कोरिडोर बनाए हैं, जिससे अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया और जापान जैसे देश भी डिफेंस सेक्टर में भारत के साथ मिलकर काम करनाे को आकर्षित हुए हैं। फ्रांस और जापान समेत आस्ट्रेलिया जैसे देश पहले ही यह इच्छा जाहिर कर चुके हैं। अब अमेरिका भी भारत के साथ मिलकर लड़ाकू विमान समेत अन्य युद्धक उपकरण बनाना चाहता है। अमेरिका भारत को अपनी बेस्ट तकनीकि देने को प्रतिबद्ध है। इससे रक्षा के क्षेत्र में भारत का पूरी दुनिया पर दबदबा होने वाला है।
आपको बता दें कि इस दौरान अमेरिका के रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत दौरे पर हैं। उन्होंने देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से इस संबंध में द्विपक्षीय वार्ता की है और भारत के साथ मिलकर डिफेंस सेक्टर में क्रांति लाने की इच्छा जाहिर की है। लॉयड ऑस्टिन का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिका ने पीएम मोदी को आगामी 22 जून को राजकीय यात्रा पर आमंत्रित किया है और व्हाइट हाउस में उनके लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उनके लिए विशेष भोज का आयोजन भी किया है। .पूरी दुनिया की नजर भारत और अमेरिका के प्रगाढ़ होते इस रिश्ते की तरफ है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का भरोसा है भारत
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका भारत को अपना प्रमुख साझीदार मानता है। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागीरी और दखल के बीच भारत ही अमेरिका का भरोसा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को अपने समकक्ष लॉयड ऑस्टिन से रक्षा और सहयोग के मामले पर व्यापक चर्चा की। इसके बाद उन्होंने कहा कि मुक्त, खुले और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत-अमेरिका की साझेदारी बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर क्षमता निर्माण और रणनीतिक साझेदारी को अत्यधिक मजबूत करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर काम करने को उत्साहित है।
भारत-अमेरिका मिलकर बनाएंगे लड़ाकू विमान का इंजन और युद्धक उपकरण
अधिकारियों के अनुसार भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन के बीच महत्वपूर्ण रक्षा समझौता हुआ है। इसके तहत दोनों देश लड़ाकू विमानों के इंजन और अन्य युद्धक उपकरण बनाने पर बड़ा समझौता कर सकते हैं। अमेरिका इसके लिए भारत के साथ प्रौद्योगिकी साझा करने को भी तैयार है। फ्रांस और जापान भारत के डिफेंस कोरिडोर में पहले ही मिलकर काम करने और प्रौद्योगिकी साझा करने की बात कह चुके हैं।
दुनिया के ताकतवर देशों का भारत के डिफेंस सेक्टर में मिलकर काम करने की इच्छा से जाहिर होता है कि दुनिया में हिंदुस्तान का डंका किस कदर बजने लगा है। वैसे अमेरिका भारत को वर्ष 2016 में ही अपना बड़ा रक्षा साझेदार घोषित कर चुका है। इसके बाद मई 2022 में पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन में भी दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में मिलकर बड़ा काम करने और प्रौद्योगिकी साझा करने पर सहमति बनी थी।
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