Russia-Ukrain war: युद्ध में लगभग पूरी तरह खंडहर बन चुके यूक्रेन का यह हस्र यूं ही नहीं हुआ है। रूस के अनुसार यूक्रेन की बर्बादी का कारण अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देश हैं, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि यूक्रेन पुतिन के साथ बातचीत करके समस्या का निदान कर सके। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार को कहा कि रूस युद्ध के शुरूआती दिनों में यूक्रेन के साथ बातचीत करना चाहता था, लेकिन अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने कीव को ऐसा करने के खिलाफ सलाह दी। दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर आए लावरोव की यह टिप्पणी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन द्वारा पिछले साल की गई टिप्पणी जैसी ही है।
पुतिन ने कहा था कि रूस बात करना चाहता था, लेकिन यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों ने ऐसा होने नहीं दिया। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने कहा कि रूस युद्ध समाप्त करने के लिए बातचीत करने को लेकर गंभीर नहीं है। रूस-यूक्रेन युद्ध को फरवरी में एक साल हो जाएगा। लावरोव ने कहाकि यह सभी जानते हैं कि हमने सैन्य अभियान के शुरुआत में यूक्रेनी पक्ष की बातचीत करने के प्रस्ताव का समर्थन किया था और मार्च के अंत तक दो शिष्टमंडलों में संघर्ष समाप्ति को लेकर सैद्धांतिक सहमति भी बन गयी थी। उन्होंने कहाकि सभी जानते हैं और सार्वजनिक रूप से प्रकाशित हुआ है कि हमारे अमेरिकी, ब्रिटिश और कुछ यूरोपीय साथियों ने यूक्रेन से कहा कि समझौते में जल्दीबाजी हो रही है और जो समझौता लगभग हो चुका था, उसपर यूक्रेनी प्रशासन भी आगे बढ़ा ही नहीं।
11 महीने के युद्ध में तबाह हो गया यूक्रेन
करीब 11 महीने से चल रहे भीषण युद्ध में यूक्रेन पूरी तरह तबाह हो चुका है। उसके सभी प्रमुख शहर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। खूबसूरत और गगनचुंबी इमारतें बमों और मिसाइलों की मार से धराशायी हो चुकी हैं। यूक्रेन की सड़कों पर मौत और दहशत का सन्नााटा है। युद्ध की तबाही के बीच आम लोगों का जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो चुका है। दिन-रात हवाई हमले के खौफनाक सायरन की आवाजों और मिसाइलों व बमों के धमाकों के डर के बीच जीना ही जिंदगी बन चुकी है। लड़ाई में यूक्रेन के साथ रूस के भी हजारों सैनिक मारे जा चुके हैं। यूक्रेन में सैकड़ों आम नागरिक भी मिसाइल, बम और रॉकेट व तोप के हमले में जान गवां चुके हैं और काफी अपंग भी हो चुके हैं। मगर अभी तक युद्ध का अंत होता नहीं दिख रहा है।
भारत भी कर चुका है युद्ध रोकने की अपील
यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए अगर दुनिया में किसी देश ने सबसे मजबूती से आवाज उठाई है तो वह भारत है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से साफ कर दिया था कि "यह युग युद्ध का नहीं है"। पीएम मोदी के इस बयान की दुनिया भर में तारीफ हुई थी। उन्होंने बातचीत और कूटनीति के जरिये समस्या का समाधान करने की सलाह दी थी। इसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को भी पीएम मोदी ने बातचीत के लिए राजी कर लिया था। रूस और यूक्रेन बातचीत की मेज पर आगे बढ़ने ही वाले थे कि पश्चिमी देशों और अमेरिका के अपने हितों ने यूक्रेन को आगे बढ़ने से रोक दिया। लिहाजा यूक्रेन तबाही के रास्ते पर भी आगे बढ़ता जा रहा है। इस त्रासदी का असर यूक्रेन ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया महंगाई, खाद्य और ऊर्जा संकट के तौर पर झेल रही है।
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