Thursday, November 21, 2024
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श्रीलंका में अजीत डोभाल की रणनीति से क्या लग जाएगी चीन की "लंका", जानें राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से हुई क्या बात

श्रीलंका में हो रहे एनएसए स्तरीय सम्मेलन में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी से चीन चौकन्ना है। भारत का प्रयास श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस में चीन की उन सभी रणनीतियों को रोकना है, जिसे वह भारत के खिलाफ तैयार करने में जुटा है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: August 30, 2024 15:54 IST
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे के साथ एनएसए अजीत डोभाल। - India TV Hindi
Image Source : AP श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे के साथ एनएसए अजीत डोभाल।

कोलंबो: श्रीलंका में चल रहे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अजीत डोभाल की मौजूदगी सिर्फ यूं ही नहीं है। यहां कोलंबो में एनएसए अजीत डोभाल चार देशों के एनएसए स्तरीय वार्ता में भाग लेने पहुंचे हैं। मकसद साफ है आंतरिक और वाह्य सुरक्षा को मजबूती देना। विशेषकर चीन के खिलाफ श्रीलंका से लेकर मालदीव और मॉरीशस तक ऐसी रणनीति बनाना कि वह भारत के खिलाफ कोई साजिश नहीं कर पाए। चीन को हिंद महासागर से लेकर दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर तक घेरना ही भारत का मकसद है। ताकि चीन की कोई भी चाल भारत के खिलाफ सफल नहीं हो पाए। 

एनएसए अजीत डोभाल ने आज श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात की और जारी द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग पर चर्चा की। डोभाल आज होने वाले ‘कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव’ में शामिल होने के लिए बृहस्पतिवार को यहां पहुंच गए थे। श्रीलंका के राष्ट्रपति के मीडिया प्रभाग (पीएमडी) ने कहा कि डोभाल ने आज सुबह राष्ट्रपति सचिवालय में राष्ट्रपति विक्रमसिंघे से मुलाकात की। उन्होंने श्रीलंका और भारत के बीच जारी आर्थिक सहयोग पर चर्चा की। पीएमडी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार सागला रत्नायके भी बैठक में शामिल हुए। ‘

इन चार देशों के साथ बैठक

कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव’ भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों तथा उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों को एक मंच पर लाता है। कॉन्क्लेव में बांग्लादेश और सेशेल्स को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है। इस कॉन्क्लेव में समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद की रोकथाम और साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होती है तथा भारत हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक चिंताओं से अवगत कराता है। अगर इन देशों में भारत चीन की चाल को फेल करने में सफल हो जाता है तो यह उसकी बड़ी जीत होगी। श्रीलंका के हंबनटोटा में रिसर्च के बहाने 1 साल पहले पहुंचा चीन का जासूसी जहाज वाला मामला तो याद ही होगा। भारत के कड़े विरोध के बाद इस जहाज को लौटना पड़ा था। बाद में श्रीलंका ने चीन को दोबारा आने की इजाजत नहीं दी थी। (भाषा) 

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