पाकिस्तान में अहमदी अल्पसंख्यक समुदाय कट्टरपंथी इस्लामवादियों के निशाने पर हैं। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि पाकिस्तान की ये रिपोर्ट कह रही है। रिपोर्ट में किए गए दावे के अनुसार इस साल अब तक 10 महीनों के दौरान पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में अहमदी अल्पसंख्यक समुदाय के कम से कम 40 उपासना स्थलों पर या तो कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने हमला किया या पुलिस ने उन्हें आंशिक रूप से ढहा दिया है। अहमदी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पाकिस्तान में अहमदी समुदाय के लोगों को आमतौर पर कादियानी कहा जाता है, जो उनके लिए अपमानजनक शब्द माना जाता है। साल 1974 में पाकिस्तान की संसद ने अहमदी समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था। एक दशक बाद, उन पर खुद को मुस्लिम कहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उनके उपदेश देने और तीर्थयात्रा के लिए सऊदी अरब जाने पर प्रतिबंध है। जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के पंजाब चैप्टर के एक अधिकारी अमीर महमूद ने कहा, "इस साल जनवरी से अक्टूबर के बीच पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में हमारे उपासना स्थलों पर हमले की कम से कम 40 घटनाएं हुईं। उनमें से 11 सिंध में और बाकी पंजाब प्रांत में हुईं।
सिंध में भी उपासना स्थलों पर हमले
अमीर महमूद ने कहा कि सिंध में कुछ अहमदी उपासना स्थलों पर धार्मिक चरमपंथियों ने हमला किया, जिन्हें उनके अपराध के लिए कोई दंड नहीं दिया गया और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। महमूद ने कहा कि ज्यादातर मामलों में, कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने अहमदी पूजा स्थलों पर हमला किया, कुछ घटनाओं में, पुलिस ने धार्मिक चरमपंथियों के दबाव में मीनारों, मेहराबों को ध्वस्त कर दिया और प्रार्थना कक्षों से पवित्र लेख हटा दिए। टीएलपी का तर्क है कि अहमदी पूजा स्थल मुस्लिम मस्जिदों के समान हैं क्योंकि उनमें मीनारें हैं। महमूद ने कहा कि अहमदी पूजा स्थलों पर हमला करने और उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए धार्मिक चरमपंथियों के खिलाफ अब तक एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है।
हमले के लिए कार्यवाहक सरकार दोषी
संस्था ने प्रांत में अहमदी पूजा स्थलों के अपमान को रोकने में पूरी तरह से विफल रहने के लिए पंजाब की कार्यवाहक सरकार को भी दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि इसके कार्यकाल के दौरान सूबे में करीब 30 ऐसी घटनाएं हुईं। जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान ने कहा कि पहले से ही हाशिए पर मौजूद समुदाय के लिए स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। टीएलपी ने कहा, "अहमदियों को दुष्ट ताकतों के हाथों उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान के विभिन्न इलाकों में पूजा स्थलों को अपवित्र करने की घटनाएं लगातार जारी हैं। यह एक नया चलन है और अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं।
" इससे पहले, पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने कहा था कि अहमदिया पूजा स्थलों के किसी हिस्से को नष्ट करना अहमदिया पूजा स्थलों की सुरक्षा के संबंध में लाहौर उच्च न्यायालय के हालिया फैसले का खुला उल्लंघन है। हालाँकि पाकिस्तान में अहमदियों की संख्या लगभग दस लाख है, लेकिन अनौपचारिक आंकड़े उनकी आबादी को इससे कहीं अधिक बताते हैं। (भाषा)
यह भी पढ़ें
इजरायली हमले में मारा गया हमास का सबसे टॉप कमांडर, मध्या गाजा में छुपा था कुख्यात चरमपंथी