Highlights
- ताइवानी राष्ट्रपति ने कहा कि युद्ध से किसी का नहीं होगा भला
- चीन ने कहा-स्वतंत्र राज्य नहीं है ताइवान
- ताइवान का जवाब- स्वतंत्रता और संप्रभुता का सम्मान करना सीखे चीन
Taiwan-China Tension:चीन और ताइवान के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा है। चीन कई बार ताइवान पर सैन्य कार्रवाई करने और हमले की धमकी भी दे चुका है, लेकिन ताइवान इससे जरा भी भयभीत नहीं है। अमेरिका भी ताइवान को पूरा समर्थन दे रहा है। इससे ताइवान के हौसले बुलंद हैं। चीनी धमकियों के बीच
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने सोमवार को कहा कि ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने की चीन की धमकी ‘‘पूरी तरह से कोई विकल्प ’’ नहीं हो सकती। यह केवल दोनों पक्षों के बीच दूरियां ही बढ़ाएगी।
ताइवान के राष्ट्रीय दिवस पर साई ने कहा कि चीन को ताइवान की बहुदलीय लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली को कमजोरी समझने और ‘‘ताइवान के समाज को विभाजित करने का प्रयास’’ करने की गलती नहीं करनी चाहिए। साई ने कहा, ‘‘मैं बीजिंग के अधिकारियों को यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि सशस्त्र टकराव दोनों पक्षों के बीच पूरी तरह से कोई विकल्प नहीं है।
ताइवान की संप्रभुता और स्वतंत्रता का चीन को करना होगा सम्मान
ताइवानी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘केवल हमारी संप्रभुता, लोकतंत्र और स्वतंत्रता के प्रति ताइवान के लोगों की प्रतिबद्धता का सम्मान करके ही ताइवान जलडमरू मध्य में रचनात्मक बातचीत को फिर से शुरू करने की नींव रखी जा सकती है। राष्ट्रपति ने कहा कि देश ने विदेशी हार्डवेयर का आयात बढ़ाकर तथा घरेलू शस्त्र उद्योग के पुनरुद्धार तथा हथियारों के लिए प्रशिक्षण को उन्नत करके चीन के खतरे से अपनी रक्षा करने की कोशिशों को मजबूत किया है।
चीन ने कहा ताइवान न स्वतंत्र राज्य है और न उसका कोई तथाकथित राष्ट्रपति
साई के बयान के जवाब में, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने ताइवान के प्रति उसके तल्ख रुख को दोहराते हुए कहा, ‘‘ताइवान
एक स्वतंत्र राज्य नहीं है और इसका कोई तथाकथित राष्ट्रपति नहीं है। माओ ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ताइवान जलडमरूमध्य में मौजूदा तनाव का मूल कारण यह है कि (सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी) अधिकारी ताइवान की स्वतंत्रता पर कायम हैं और उकसावे के लिए बाहरी ताकतों के साथ साठगांठ कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण वार्ता के लिये तैयार हैं, लेकिन ताइवान की स्वतंत्रता के मकसद से अलगाववादी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ये है मुख्य विवाद
ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है, लेकिन चीन इस पर अपना दावा करता है। द्वीप पर कब्जा करना बीजिंग की राजनीतिक और सैन्य सोच का हिस्सा है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हुए कहा था कि ‘ताइवान का मुद्दा’ सुलझाया जाएगा और ‘शांतिपूर्ण एकीकरण’ दोनों पक्षों के हितों में है। शी ने कहा था कि ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह के ‘‘विदेशी हस्तक्षेप’’ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बीच में अमेरिका के कूदने से तनाव बढ़ा
चीन की बढ़ती आक्रमता के मद्देनजर अमेरिका और जापान ताइवान के प्रति अपना समर्थन बढ़ा रहे हैं जिसकी पृष्ठभमि में चीन की यह टिप्पणी आई थी। चीन और अमेरिका के बीच टकराव की स्थिति 1996 में पैदा हुई थी। चीन ने ताइवान के लिए बढ़ते अमेरिकी सहयोग से नाराज होकर ताइवान के तट से करीब 30 किलोमीटर दूर जलक्षेत्र में मिसाइल प्रक्षेपण समेत सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया था। इसके जवाब में अमेरिका ने क्षेत्र में दो विमान वाहक पोत भेजे थे। उस समय चीन के पास विमान वाहक और अमेरिकी पोतों को धमकाने के लिए पर्याप्त साधन नहीं थे, इसलिए वह पीछे हट गया था। इसके बाद चीन ने अपनी सेना को मजबूत बनाना शुरू किया और 25 साल बाद उसने मिसाइल सुरक्षा प्रणाली विकसित कर ली है, जो जवाबी हमला कर सकती है और उसने अपने विमान वाहक पोत भी बना लिए हैं।