Highlights
- काबुल पर तालिबान के कब्जे का आज हुआ एक साल
- बुनियादी रूप से पूरी तरह बदल गया अफगानिस्तान
- तालिबानी लड़ाकों ने पैदल, साइकिलों पर निकाली परेड
Afghanistan: आज हिंदुस्तान की आवाम जहां एक ओर आजादी के जश्न में सरावोर है, वहीं अखंड भारत का कभी पड़ोसी देश रहा अफगानिस्तान के लोग आज तालिबानी कब्जे का एक साल परा होते देख रहे हैं। उन तमाम लाचारियों, बेचारगियों, जुल्मों-यातनाओं, बंदिशों-भुखमरी को झेलते और इसे ही अपनी नियति में कबूलते अफगानिस्तान को आज पूरा एक साल हो गया है। 15 अगस्त की तारीख भारत के लिए गर्व, शौय और विजय का दिन है लेकिन अफगानिस्तान के लिए ये दिन हार और अपने देश को एक राष्ट्र के तौर पर गिर जाने और तालिबानी बेड़ियों में बंध जाने का दिन है।
तालिबान ने मनाया जश्न, निकाली विजय परेड
तालिबान को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा किये हुए आज 15 अगस्त को एक साल हो गया है। अफगानिस्तान पर तिलबानी शासन के बाद देश बुनियादी रूप से पूरी तरह बदल गया है। आज 15 अगस्त के मौके पर तालिबानी लड़ाकों ने पैदल, साइकिलों और मोटर साइकिलों पर काबुल की सड़कों पर विजय परेड निकाली जिसमें कुछ ने राइफलें भी ले रखी थीं। एक छोटे समूह ने अमेरिका के पूर्व दूतावास के सामने से गुजरते हुए ‘इस्लाम जिंदाबाद’ और ‘अमेरिका मुर्दाबाद’ के नारे भी लगाए।
महिलाओं के लिए बन चुका है 'नर्किस्तान'
अफगानिस्तान में एक साल में बहुत कुछ बदल गया है। आर्थिक मंदी के हालात में लाखों और अफगान नागरिक गरीबी की ओर जाने को मजबूर हुए हैं। इस बीच तालिबान नीत सरकार में कट्टरपंथियों का दबदबा बढ़ता दिख रहा है। सरकार ने लड़कियों और महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर मुहैया कराये जाने पर पाबंदियां लगा दी हैं जबकि शुरुआत में तालिबान ने इसके विपरीत वादे किये थे। एक साल बाद भी लड़कियों को स्कूल नहीं जाने दिया जा रहा है और महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर खुद को सिर से पांव तक ढककर जाना होता है।
एक साल पहले 'ढहा था काबुल का किला'
साल भर पहले हजारों अफगान नागरिक तालिबान के शासन से बचने के लिए देश छोड़ने के लिहाज से काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। अमेरिका ने 20 साल की जंग के बाद अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला लिया था और ऐसे हालात बने थे। इस मौके पर अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने देश छोड़ने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि वह विद्रोहियों के सामने समर्पण के अपमान से बचना चाहते थे। उन्होंने सीएनएन से बातचीत में कहा कि 15 अगस्त, 2021 की सुबह जब तालिबान काबुल तक पहुंच गया था तो राष्ट्रपति भवन में वही बचे थे क्योंकि उनके सारे सुरक्षाकर्मी गायब थे।