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Afghanistan : दूसरे देशों पर हमले के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं होने देंगे-तालिबान

Afghanistan : पिछले साल काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों में तेजी की आशंका को लेकर भारत और क्षेत्र के कई अन्य देशों ने लगातार चिंता जताई है।

Edited By: Niraj Kumar
Updated on: July 07, 2022 9:00 IST
Representational Image- India TV Hindi
Image Source : AP/FILE Representational Image

Highlights

  • अमेरिका के साथ हुए समझौते का पालन कर रहा है तालिबान-अखुंदजादा
  • विश्व समुदाय अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में दखल न दे-अखुंदजादा
  • हम सभी देशों से अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं-अखुंदजादा

Afghanistan : अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान (Taliban) के सर्वोच्च नेता मुल्ला हैबातुल्ला अखुंदजादा (Haibatullah Akhundzada ) ने ऐलान किया कि अफगानिस्तान (Afghanistan) की धरती का इस्तेमाल दूसरे देशों पर हमले के लिए नहीं होने दिया जाएगा। साथ ही, उन्होंने विश्व समुदाय से अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में दखल न देने की अपील की है। पिछले साल काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों में तेजी की आशंका को लेकर भारत और क्षेत्र के कई अन्य देशों ने लगातार चिंता जताई  है। इस बीच उनकी टिप्पणी आई। 

अमेरिका के साथ किए गए समझौते का पालन-तालिबान

तालिबान ने कहा कि वह 2020 में अमेरिका के साथ साइन किये गए एक समझौते का पालन कर रहा है, जिसमें उन्होंने आतंकवादियों से लड़ने का वादा किया था। पिछले साल अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से तालिबान ने बार-बार कहा है कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल अन्य देशों पर हमले करने के लिए नहीं किया जाएगा। 

दुनिया के देशों से हम अच्छे संबंध चाहते हैं-तालिबान

अखुंदजादा ने ईद उल अजहा की छुट्टियों से पहले अपने संबोधन में कहा, ‘हम अपने पड़ोसियों, क्षेत्र और विश्व को आश्वस्त करते हैं कि हम अपनी धरती का इस्तेमाल किसी अन्य देश की सुरक्षा को खतरा डालने के लिए नहीं करने देंगे।’ तालिबान के आध्यात्मिक गुरु अखुंदजादा ने ईद उल अजहा पर अपने संदेश में कहा, ‘परस्पर संपर्क और प्रतिबद्धता के ढांचे के तहत हम अमेरिका समेत विश्व के साथ अच्छा, राजनयिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध चाहते हैं तथा हमारा मानना है कि यह सभी पक्षों के हित में है।' 

अखुंदजादा का पहला काबुल दौरा

उल्लेखनीय है कि काबुल में उलेमा और कबायली सरदारों की तीन दिवसीय सभा बीते शनिवार को संपन्न हुई जिसमें तालिबान शासन के लिए समर्थन मांगा गया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान की अगुवाई वाली सरकार को मान्यता देने की अपील की गई। अखुंदजादा ने दक्षिण कंधार प्रांत स्थित अपने ठिकाने से काबुल पहुंच कर शुक्रवार को सभा को संबोधित किया था। तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद से अखुंदजादा का काबुल का यह पहला दौरा माना जा रहा है। 

भारत ने तालिबान शासन को नहीं दी है मान्यता 

बता दें कि भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममूंदजे ने पिछले महीने कहा था कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पूरे मुल्क में आतंकी गतिविधियों में खासी बढ़ोतरी हुई है। ममूंदजे को भारत में अशरफ गनी सरकार ने अफगानिस्तान का राजदूत नियुक्त किया था। वहीं भारत ने अफगानिस्तान में नए शासन को अब मान्यता नहीं दी है। भारत का कहना है कि वह अफगानिस्तान में वास्तव में समावेशी सरकार के गठन के लिए जोर दे रहा है। साथ ही भारत का यह भी कहना है कि किसी भी देश के खिलाफ किसी भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। 

इनपुट-भाषा

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