Highlights
- तालिबान ने भारत के दूतावास का कामकाज शुरू करने की सराहना की
- भारतीय दूतावास की सुरक्षा का पूरा आश्वासन भी दिया
Afghanistan News: अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को एक साल पूरा हो चुका है। नए तालिबान के साथ भारत के प्रतिनिधिमंडल ने भी हाल के समय में मुलाकात की है। साथ ही खाद्यान्न की मदद भी की है। इसी बीच तालिबान के अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास ने हाल ही में फिर काम करना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत के साथ कूटनीतिक संबंध फिर शुरू हो गए हैं। तालिबान ने भारत के दूतावास का कामकाज शुरू करने की सराहना की। साथ ही सुरक्षा का पूरा आश्वासन दिया। तालिबान ने यह भी साफ किया कि चीन को अफगानिस्तान में सैन्य अड्डा या आर्मी बेस बनाने की परमिशन नहीं दी जाएगी।
गौरतलब है कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर जब कब्जा कर लिया था, तब काबुल में भारतीय दूतावास अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया था। अब फिर एक बार भारतीय दूतावास में काम शुरू हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तालिबान का अफगानिस्तान अपने पड़ोसी देशों से अच्छे संबंधों का हिमायती है।
काबुल में गुरुद्वारा फिर से बनाने में मदद कर रहा तालिबान
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में दो माह पहले करते परवान गुरुद्वारे पर IS ने हमला किया था। इससे इमारत को काफी नुकसान पहुंचा था। अब तालिबान इसे फिर से बनाने में जुट गया है। इसे फिर से तैयार करने के लिए 40 लाख अफगानी रुपए लगा दिए हैं। साथ ही यहां पहरेदारी भी बढ़ा दी है। दो महीने पहले काबुल के करते परवान गुरुद्वारे पर इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) का हमला हुआ था। जिसमें इस पवित्र इमारत को काफी नुकसान पहुंचा। 40 लाख अफगानी रुपये की राशि से इस समय अफगान कारीगर दीवारों पर पेंटिंग करने, फर्श की टाइलें बिछाने और मुख्य हॉल को अंतिम रूप दे रहे हैं। जहां गुरु ग्रंथ साहिब को रखा जाएगा।
40 लाख अफगानी रुपयों की सहयोग राशि दी
काबुल में हिंदू-सिख समाज के प्रमुख और गुरुद्वारे को फिर से तैयार करने के काम की निगरानी रामसरन भसीन कर रहे हैं। भसीन ने कहा कि ‘तालिबान के इंजीनियरों सहित उनके कई लोग यहां आए, नुकसान का आकलन किया और हमें पैसे दिए। तालिबान ने 40 लाख अफगानी रुपये की राशि सहयोग के रूप में दी है। साथ ही पुनर्निर्माण को लगभग पूरी तरह से इस्लामिक अमीरात से फंड दिया गया है। हमने कोई फंड नहीं जुटाया है।’ भसीन ने कहा कि यह काबुल का सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है। यहां पर तालिबान ने सुरक्षा के लिए कड़ा पहरा कर दिया है।