भारत और नेपाल के बीच पारंपरिक रिश्ते हैं। चीन भले ही नेपाल पर कितने ही डोरे डाले, लेकिन नेपाल भारत के बिना अपने वजूद की कल्पना नहीं कर सकता है। भारत अपने प्राचीन पड़ोसी देश नेपाल के साथ हमेशा दोस्ती निभाता रहा है। ताजा मामले में नेपाल के हित में केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। भारत ने ये फैसला किया है कि वह अगले 10 साल में 10 हजार मेगावाट बिजली नेपाल से खरीदेगा। इस फैसले से नेपाल को काफी फायदा होगा।
भारत ने औपचारिक रूप से निर्णय लिया है कि वह अगले 10 साल में 10 हजार मेगावाट बिजली नेपाल से खरीदने जा रहा है। भारत ने नेपाल के साथ हुए द्विपक्षीय समझौते के तहत बिजली खरीदने का यह समझौता किया है। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के कार्यालय ने भारत के इस फैसले पर खुशी जताई है।साथ ही भारत की जमकर तारीफ की है। नेपाल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि उन्हें सूचना मिली है कि भारतीय कैबिनेट ने बिजली खरीदने के समझौते को मंजूरी दी है।
भारत के इस फैसले से नेपाल के विकास की बढ़ेगी गति
नेपाल के पीएमओ ने कहा कि भारत का यह फैसला नेपाल के आर्थिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। नेपाल के ऊर्जा मंत्री शक्ति बासनेट ने कहा कि प्रधानमंत्री प्रचंड की भारत यात्रा के दौरान लंबी अवधि के लिए बिजली समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत भारत नेपाल से अगले 10 साल में 10 हजार मेगावाट बिजली खरीदने के लिए सहमत हुआ है। वहीं पीएम प्रचंड ने एक कार्यक्रम में कहा कि नेपाल पनबिजली सेक्टर में बड़ा बदलाव ला रहा है।
अभी 450 मेगावाट बिजली भारत को निर्यात कर रहा नेपाल
प्रचंड ने कहा कि नेपाल सरकार ऐसा माहौल बना रही है जिससे देश में पनबिजली के क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि नेपाल आने वाले दशक में हाइड्रोपावर के क्षेत्र में बदलाव के लिए पूरी तैयारी कर रहा है। प्रचंड ने कहा कि नेपाल इस समय भारत को 450 मेगावाट बिजली का निर्यात कर रहा है। हम इसे अगले 10 साल में 10 हजार मेगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य रख रहे हैं। इसके लिए भारत और नेपाल ने पहले ही एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। नेपाल से बिजली खरीदने का भारत का फैसला ऐसे वक्त आया है जब नेपाली प्रधानमंत्री प्रचंड चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। ऐसे में नेपाल भारत के प्रति और कृतज्ञ हो गया है।