Pakistan News: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर पाकिस्तान की सरकार और सेना लगातार हमलावर है। कभी जमान पार्क में भारी सुरक्षा बलों को भेजना, कभी आर्मी कोर्ट में मुकदमा चलाए जाने की कवायद में जुटना, कभी जमान पार्क हाउस के लिए लग्जरी टैक्स लगाने की बात, इमरान खान कई ओर से घिरने लगे हैं। वहीं उनकी पार्टी के नेता भी उनका साथ छोड़ने लगे हैं। जबकि पार्टी को तोड़ने व छिन्न भिन्न करने के लिए पाकिस्तान की शहबाज सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। इसी बीच इमरान खान ने सोमवार को एक बड़ा बयान दिया है। इमरान खान ने कहा है कि मंगलवार को जब वह विभिन्न मामलों में जमानत लेने के लिए इस्लामाबाद में होंगे तो उनकी गिरफ्तारी की 80 प्रतिशत संभावना है।
एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने कहा कि पीडीएम सेना के साथ गठबंधन कर रहा है और मुझे बाहर रखने के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म कर रहा है। उन्होंने कहा, 10 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है और उनकी पार्टी का पूरा वरिष्ठ नेतृत्व जेल में है।
मेरी पार्टी खत्म करना चाहते हैं विरोधी, बोले इमरान
अपनी गिरफ्तारी के बाद 9 मई को राज्य की इमारतों और सेना के प्रतिष्ठानों पर हिंसा और आगजनी के हमलों का जिक्र करते हुए, खान ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने आगजनी के बहाने का इस्तेमाल किया है, वो मेरी गिरफ्तारी के बाद उस प्रतिक्रिया का इस्तेमाल पार्टी को खत्म करने के लिए कर रहे हैं। यह दावा करते हुए कि सैकड़ों महिलाओं और बच्चों को जेल में डाल दिया गया है, पीटीआई प्रमुख ने कहा कि वे अब हमें सैन्य अदालतों में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।
चुनाव से डर रही है शहबाज सरकार
उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ गठबंधन चुनाव से डर रहा है। डॉन की खबर के मुताबिक, यह कहते हुए कि उनकी जान को अभी भी खतरा है, पीटीआई प्रमुख ने कहा कि उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि उनकी हत्या के लिए एक धार्मिक उन्मादी का इस्तेमाल किया जाएगा, जैसे कि पंजाब के पूर्व राज्यपाल की हत्या की गई थी। खान ने कहा कि स्थिति इस हद तक बिगड़ गई है कि न्यायाधीशों और अदालतों के फैसले भी रद्द किए जा रहे हैं।
इमरान खान की पार्टी पहुंची सुप्रीम कोर्ट
उधर, इमरान खान की पार्टी पीटीआई आर्मी की कोर्ट के मुकदमे से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंची है। इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी यानी पीटीआई ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर 9 मई के हमलों में शामिल नागरिकों के खिलाफ सैन्य अदालतों में मुकदमा चलाने के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। पीटीआई ने सरकार के फैसले को नियत प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई की संवैधानिक गारंटी का ‘स्पष्ट उल्लंघन’ करार दिया।