Tuesday, September 17, 2024
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तालिबान ने लगाया बैन, अफगानिस्तान में 80 प्रतिशत लड़कियां नहीं जा पाती हैं स्कूल: UNESCO

अफगानिस्तान में तालिबान राज चल रहा है। तालिबान राज में लड़कियों का हाल सबसे बुरा है। अफगानिस्तान में 80 प्रतिशत लड़कियां शिक्षा से दूर हैं। यहां तालिबान शासन के तीन साल भी पूरे हो गए हैं।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Updated on: August 15, 2024 16:53 IST
Afghan Girls (सांकेतिक तस्वीर)- India TV Hindi
Image Source : FILE REUTERS Afghan Girls (सांकेतिक तस्वीर)

काबुल: तालिबान ने प्रतिबंधों के माध्यम से जानबूझकर अफगानिस्तान में 14 लाख लड़कियों को स्कूल जाने से वंचित किया है। संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। अफगानिस्तान दुनिया का एकमात्र देश है, जहां महिलाओं के माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक शिक्षा हासिल करने पर प्रतिबंध है। वर्ष 2021 में सत्ता पर काबिज होने वाले तालिबान ने लड़कियों के छठी कक्षा से ज्यादा पढ़ाई करने पर प्रतिबंध लगा रखा है क्योंकि उसका कहना है कि यह शरिया या इस्लामी कानून की व्याख्या के अनुरूप नहीं है। यूनेस्को ने कहा कि तालिबान ने सत्ता में आने के बाद कम से कम 14 लाख लड़कियों को जानबूझकर माध्यमिक शिक्षा से वंचित किया है। 

क्या कहते हैं आंकड़े

यूनेस्को के अनुसार अप्रैल 2023 में हुई पिछली गणना के बाद से इसमें 3,00,000 की वृद्धि हुई है। यूनेस्को ने कहा, “यदि हम उन लड़कियों को जोड़ लें जो प्रतिबंध लागू होने से पहले से स्कूल नहीं जा रही थीं, तो अब देश में लगभग 25 लाख लड़कियां शिक्षा के अपने अधिकार से वंचित हैं। इस हिसाब से अफगानिस्तान में 80 प्रतिशत लड़कियां शिक्षा से दूर हैं।” तालिबान की ओर से इसपर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है। अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण झटका महिला शिक्षा और अधिकतर रोजगार पर तालिबान का प्रतिबंध है, जिससे अफगानिस्तान की आधी आबादी खर्च और कर भुगतान के मामले में कमजोर पड़ गई है।

तालिबान शासन के 3 साल पूरे

इस बीच यहां यह भी बता दें कि, अफगानिस्तान में तालिबान शासन को तीन साल हो गए हैं। इन तीन साल में उसने इस्लामिक कानून की अपनी व्याख्या थोपी है और वैध सरकार के अपने दावे को मजबूत करने की कोशिश की है। देश के आधिकारिक शासक के तौर पर कोई राष्ट्रीय मान्यता ना होने के बावजूद तालिबान ने चीन और रूस जैसी प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियों के साथ उच्च स्तरीय बैठकें की हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित वार्ताओं में भी भाग लिया है जिसमें अफगानिस्तान की महिलाओं, नागरिक समाज से जुड़े लोगों को भाग लेने का अवसर नहीं दिया गया। (एपी)

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