नई दिल्लीः क्या आपने कभी ऐसे स्कूलों के बारे में सुना है, जहां पढ़ने जाने वाली लड़कियों (छात्राओं) को जहर पिलाया जाता है?...आपको यह सवाल सुनकर बेहद अजीब लग रहा होगा, मगर यह सच है। स्कूल जाने वाली लड़कियों को जहर पिलाने वाले एक या दो स्कूलों का मामला नहीं है, बल्कि करीब 50 विद्यालयों में ऐसा किया जा रहा है। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि इसे अधिकारियों ने स्वयं स्वीकार किया है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी क्या वजह हो सकती है कि छात्राओं को जहर पिलाया जा रहा है?...आपके इन सभी सवालों को जवाब आगे मिलने वाला है। दरअसल यह सनसनीखेज घटना ईरान की है, जहां स्कूली छात्राओं को पढ़ने से पहले जहर पीना अनिवार्य किया जा रहा है। ताकि उनकी मौत हो जाए और वह शिक्षा हासिल नहीं कर सकें। इन घटनाओं ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है।
ईरान के अधिकारियों ने माना है कि इस तरह से 50 से ज्यादा स्कूलों को निशाना बनाया गया है। ज़हर देने की घटना ने अभिभावकों में हड़कंप मचा दिया है। हर किसी के दिल में अजीब सी दहशत पैदा हो गई है। अधिकारियों का यह भी कहना है कि अभी तक जहर देने की घटना में किसी की भी हालत गंभीर नहीं हुई है और न ही किसी की मौत हुई है। सवाल यह भी है कि आखिर यह जहर फिर लड़कियों के क्यों पिलाया जा रहा है और इन घटनाओं के पीछे जिम्मेदार कौन लोग हैं? ज़हर देने की घटनाओं की शुरुआत ईरान में पवित्र कहे जाने वाले शहर कोम से नवंबर में हुई थी। खबरों के मुताबिक, ईरान के 30 में से 21 प्रांतों में संदिग्ध मामले मिले हैं और तकरीबन सभी घटनाएं बालिका विद्यालयों की हैं। ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद 40 साल से ज्यादा वक्त से कभी भी लड़कियों की शिक्षा को चुनौती नहीं दी गई है। ईरान ने पड़ोसी अफगानिस्तान की तालिबानी हुकूमत से महिलाओं को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने की इजाज़त देने की मांग की है।
ये समूह पिला रहा लड़कियों को जहर
पूरी दुनिया हैरान है कि आखिर इन लड़कियों को जहर कौन पिला रहा है? कई ईरानी पत्रकारों ने ‘फिदायीन विलायत’ नाम के एक समूह के बयान का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि लड़कियों की शिक्षा को “ प्रतिबंधित माना जाता है” और धमकी दी है कि अगर उनके स्कूल खुले रहेंगे तो पूरे ईरान में लड़कियों को ज़हर दिया जाएगा। वहीं ईरानी अधिकारियों का कहना है कि उन्हें ‘फिदायीन विलायत’ नाम के समूह के बारे में जानकारी नहीं है।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘इरना’ की खबर के मुताबिक, ईरान के गृह मंत्री अहमद वाहिदी ने शनिवार को कहा कि जांचकर्ताओं ने छानबीन के दौरान संदिग्ध नमूने इकट्ठा किए हैं। राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने रविवार को कैबिनेट से कहा कि ज़हर देने के मामले पर तह तक जाने और उसे सामने लाने की जरूरत है। उन्होंने खुफिया मामलों के मंत्री इस्माइल खतीब की ओर से एक रिपोर्ट पढ़ने के बाद यह टिपप्णी की। उन्होंने विद्यार्थियों और अभिभावकों में दहशत फैलाने के लिए इन कथित हमलों को “इंसानियत के खिलाफ जुर्म” बताया। वाहिदी ने कहा कि ज़हर की संदिग्ध घटनाओं से कम से कम 52 स्कूल प्रभावित हुए हैं। ईरान की मीडिया ने स्कूलों की संख्या 60 बताई है। कम से कम एक बाल विद्यालय भी प्रभावित हुआ है।
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