Taiwan vs China: रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद इजरायल-ईरान युद्ध भी शुरू हो चुका है और अब ताइवान-चीन युद्ध की आशंकाएं भी बढ़ गई हैं। अभी दो दिन पहले ही जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने चीन द्वारा ताइवान पर हमले की आशंका जताई थी। किशिदा का यह अंदेशा 48 घंटे के अंदर ही सच होता दिख रहा है। मंगलवार को चीन के 20 लड़ाकू विमान अचानक ताइवान की सीमा में घुस गए। इसके बाद हड़कंप मच गया। चीन ने इस दौरान अपने सबसे खतरनाक युद्धपोतों को भी ताइवान की सीमा पर तैनात कर दिया है।
इससे दोनों देशों के बीच युद्ध की घंटी बजती दिख रही है। चीन के लड़ाकू विमानों को मार कर गिराने के लिए ताइवान ने अपना मिसाइल सिस्टम एक्टिवेट कर दिया है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव हाई लेवल पर पहुंच गया है। इस पूरे घटनाक्रम पर अमेरिका बारीकी से नजर रख रहा है। अमेरिकी सेना भी चीन को उसकी हरकतों का जवाब देने के लिए एक्टिव मोड में आ गई है।
ताइवान की सीमा के आसपास चीन ने वैसे तो कुल 34 लड़ाकू विमानों को उतार रखा है। साथ ही 9 युद्धपोतों की तैनाती भी कर दी है। इससे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खतरनाक मंसूबों को समझा जा सकता है। तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति बनते ही शी जिनपिंग ने कह दिया था कि वह ताइवान को चीन में मिलाने के लिए सैन्य बल का प्रयोग करने से भी नहीं चूकेंगे। अब शी जिनपिंग अपने वादे के मुताबिक उसी ट्रैक पर चल पड़े हैं। चीन के 34 सैन्य विमानों और 9 युद्धपोतों की तैनाती का जवाब देने के लिए ताइवान ने भी अपने लड़ाकू विमानों को आसमान में उतार दिया है। साथ ही नौसेना को भी अलर्ट कर दिया है।
एक्टिव हुआ ताइवान का मिसाइल सिस्टम
ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार चीन के 20 लड़ाकू विमान मंगलवार को ताइवान जलडमरूमध्य में सेंट्रल लाइन को पार गए। इसके बाद वह बफर जोन में प्रवेश कर गए। इसके बाद ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने चीन के लड़ाकू विमानों को मार गिराने के लिए अपना मिसाइल सिस्टम एक्टिवेट करवा दिया। आपको बता दें कि चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है, जबकि ताइवान के अधिकतर लोग चीन की सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण में आने का विरोध करते हैं। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि ताइवानी सशस्त्र बलों ने चीन की हर हरकतों का जवाब देने के लिए उनकी गतिविधियों की निगरानी करना शुरू कर दिया है।
लड़ाकू विमानों के साथ उतरे चीन के बमवर्षक और युद्धपोत
चीन ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में लड़ाकू विमानों के साथ ही साथ कई बमवर्षक भी उतार दिए हैं। ताइवान की सीमा को चीनी नौसेना के युद्धपोतों ने घेर लिया है। इससे ताइवान पर चीनी कब्जे की आशंका प्रबल हो गई है। चीन की तैयारियां बता रही हैं कि वह अगले कुछ दिनों में जबरन ताइवान को कब्जे में लेने के लिए हमला कर सकता है। आपको बता दें अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की तत्कालीन अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी और यूरोपीय संघ के कई नेताओं के हाल के महीनों में ताइवान के दौरे के बीच दोनों पक्षों ने सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया था। इसके बाद से तनाव बढ़ता ही जा रहा है। अगस्त 2022 में चीन और ताइवान के बीच तनाव उस वक्त और भी बढ़ गया था, जब नैंनी पेलोसी ताइवान की यात्रा पर गई थी और चीन ने इस पर आपत्ति जताते हुए ताइवान के आसपास युद्धाभ्यास किया था और मिसाइल भी दागी थी। अब चीन ने ताइवान से करीबी संबंध रखने वाले देशों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
अमेरिका भी हुआ चिंतित
ताइवान के खिलाफ चीन की यह मौजूदा नाकाबंदी ने ताइवान पर हमले की तैयारियां बढ़ाने का स्पष्ट संकेत है। इससे ताइवान के प्रमुख सहयोगी अमेरिका भी चिंतित हो उठा है। चीनी सेना के ऐक्शन को देखते हुए अमेरिका ने भी अपने लड़ाकू विमानों को सतर्क कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही ताइवान की सीमा रेखा के आसपास चीन को जवाब देने के लिए अमेरिकी लड़ाकू विमान भी नजर आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में सिर्फ ताइवान बनाम चीन ही नहीं, बल्कि चीन बनाम अमेरिका होने का खतरा भी कई गुना बढ़ गया है। गत एक महीने हाल ही में अमेरिकी वायु सेना के जनरल माइक मिनिहान ने अधिकारियों को 2025 में ताइवान को लेकर अमेरिका-चीन संघर्ष के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया था। एयर मोबिलिटी कमान के प्रमुख के रूप में मिनिहान को चीनी सेना की गहरी समझ है और उनकी टिप्पणियां अमेरिका द्वारा तैयारी बढ़ाने के आह्वान के अनुरूप हैं।
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