कन्फ्यूशियस ने हज़ारों साल पहले यह बहुत ही सुंदर और व्यावहारिक सीख दी थी कि अपने जीवन के लक्ष्य तक कैसे पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा था कि कहा था - अगर आप की गति धीमी है, तो भी आप अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं, बस ज़रूरी बात यह है कि आप रुके नहीं।
कन्फ्यूशियस का मानना था कि जिंदगी में कुछ कर गुज़रने के लिए लक्ष्य बनाना बेहद ज़रूरी है और फिर उस लक्ष्य तक पहुंचने तक इनसान को रुकना नहीं चाहिए, क्योंकि रुकने का मतलब है लक्ष्य तक न पहुंचना। यही वजह है कि उन्होंने यह शिक्षा दी की चाहे आपकी गति कितनी भी धीमी क्यों न हो, लगातार अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते चले जाओ। कितनी भी बाधाएं आपके रास्ते में आएं, मगर रुको नहीं। अपनी गति से लगातार आगे बढ़ते चले जाओ। उससे आप अपने लक्ष्य तक ज़रुर पहुंच जाएंगे।
कौन थे कन्फ्यूशियस
कन्फ्यूशियस की गिनती दुनिया के महान विचारकों में की जाती है। उन्होंने अपनी शिक्षाएं उस ज़माने में दीं, जब चीन में झोऊ राजवंश के कमज़ोर होने के बाद अराजकता की हालत में था। विशाल चीनी साम्राज्य में कई छोटी-छोटी रियासतें बन गई थीं, जो आपस में लड़ती रहती थीं। चीनी जनता की जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई थी। ऐसे ही मुश्किल हालात में चीनी जनता और शासकों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने के लिए कन्फ्यूशियस ने इन महान सिद्धांतों की रचना की।
कन्फ्यूशियस की शिक्षाओं ने किया था चीन की जनता को एकजुट
हज़ारों साल बीत जाने के बाद भी महात्मा कन्फ्यूशियस की शिक्षाएं उतनी ही कारगर हैं, जितनी कि तब, जब इनकी रचना की गई थी। उनकी शिक्षाओं ने उस मुश्किल वक्त में तो चीनी जनता को एकजुट किया ही, बाद में भी जब-जब चीन के सामने कोई बड़ा संकट आया, कन्फ्यूशियस की शिक्षाओं ने चीनी नेताओं और जनता को सही राह दिखाई।
धार्मिक नेता नहीं, सुधारक थे कन्फ्यूशियस
दिलचस्प बात यह है कि कन्फ्यूशियस ने कभी ईश्वर के बारे में कोई उपदेश नहीं दिए, फिर भी बाद में लोग उन्हें धार्मिक नेता मानने लगे। दरअसल कन्फ्यूशियस एक धार्मिक नेता नहीं, बल्कि समाज सुधारक थे। उनके दार्शनिक, सामाजिक तथा राजनीतिक विचारों पर आधारित मत को कनफ़ूशीवाद या कुंगफुत्सीवाद कहा जाता है। आइए अब हम आपको बताते हैं कन्फ्यूशियस के वो चमत्कारिक बातें, जिनसे सीख लेने और अमल में लाने पर आपकी जिंदगी बदल जाएगी।