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चीन के आगे बढ़ने का तरीका नहीं तय कर सकता है कोई अन्य देश: शी जिनपिंग

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका का नाम लिये बिना चेतावनी देते हुए मंगलवार को कहा कि कोई भी अन्य देश यह तय नहीं कर सकता है कि चीन किस तरह से आर्थिक प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ता है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : December 18, 2018 17:20 IST
Xi Jinping
Xi Jinping

बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका का नाम लिये बिना चेतावनी देते हुए मंगलवार को कहा कि कोई भी अन्य देश यह तय नहीं कर सकता है कि चीन किस तरह से आर्थिक प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ता है। चिनफिंग ने आर्थिक सुधारों के 40 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में ग्रेट हॉल ऑफ दी पीपुल में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि उनका देश कभी भी वर्चस्व बनाने पर ध्यान नहीं देगा। चिनफिंग ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब चीन के बढ़ते आर्थिक वर्चस्व को लेकर विश्व भर में चिंताएं उभर रही हैं। उन्होंने अमेरिका का जिक्र किये बिना कहा कि चीन के विकास से किसी भी अन्य देश को खतरा नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की चीन किस हद तक आगे बढ़ता है, लेकिन चीन कभी भी वर्चस्व बनाने की दिशा में काम नहीं करेगा।

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उन्होंने कहा कि कोई भी इस स्थिति में नहीं है कि चीन के लोगों को क्या करना चाहिये और क्या नहीं करना चाहिये बता सके। चिनफिंग ने आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने का वादा दोहराते हुए कहा कि चीन एकदलीय व्यवस्था से इतर नहीं होगा और न ही किसी अन्य देश का आदेश सुनेगा। चिनफिंग ने कहा कि चीन अन्य देशों के हितों की बलि देकर अपना विकास नहीं करेगा। उन्होंने चीन के भू-राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हम खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने, मानव के भविष्य का समुदाय बनाने, वैश्विक प्रशासनिक प्रणाली में बदलाव लाने और वर्चस्ववाद एवं ताकत की राजनीति का विरोध करने की दिशा में सक्रियता से आगे बढ़ेंगे। अमेरिका और यूरोप लंबे समय से चीन के बाजार में प्रवेश को लेकर आने वाली रुकावटों की शिकायत करते रहे हैं।

चालीस साल पहले देंग शिआओपिंग द्वारा पारंपरिक मार्क्सवादी समूहीकरण को तिलांजलि देकर उदारीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ने के बाद अब तक चीन ने कई दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। ग्रामीण आबादी में गरीबी की दर इस दौरान 40 साल पहले के 97.5 प्रतिशत से गिरकर पिछले साल 3.1 प्रतिशत पर आ गयी। हालांकि आर्थिक मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन के बाद भी कम्युनिस्ट शासन के तौर-तरीकों में कोई बदलाव नहीं आया। इस दौरान 1989 में हुए थियानमेन प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों पर टैंक चलाने का भी वाकया हुआ। पिछले कुछ वर्षों में चीन में मानवाधिकार के उल्लंघन के मामलों में भी काफी तेजी दर्ज की गयी। 

आर्थिक मोर्चे पर भी हालिया समय में चीन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका के साथ जारी व्यापारिक तनाव के अलावा चीन के समक्ष कर्ज के पहाड़ की चुनौती है। इनके अलावा चीन की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार भी सुस्त होकर पिछले साल 6.9 प्रतिशत पर आ गयी जिसके इस साल 6.5 प्रतिशत पर आ जाने की आशंका है।

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