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पंजशीर घाटी में घुसने से क्यों घबराता है तालिबान? आज तक कभी नहीं जीत पाया

तालिबान भले ही पूरे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा होने का दावा कर रहा हो लेकिन सच्चाई यह है कि तालिबान ने यहां की पंजशीर घाटी में घुसने की अभी तक हिम्मत नहीं की है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : August 18, 2021 20:28 IST
Taliban fighter- India TV Hindi
Image Source : AP/PTI Taliban fighter

काबुल: तालिबान भले ही पूरे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा होने का दावा कर रहा हो लेकिन सच्चाई यह है कि तालिबान ने यहां की पंजशीर घाटी में घुसने की अभी तक हिम्मत नहीं की है। पंजशीर घाटी पर तालिबान का कब्जा नहीं है। अमरुल्लाह सालेह, जिन्होंने अब खुद को अफगानिस्तान को केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित कर दिया है, वह इसी पंजशीर घाटी से आते हैं। सालेह ने साफ कर दिया है कि वह तालिबान के आगे सरेंडर नहीं करेंगे।

पंजशीर घाटी में कभी तालिबान का कब्जा नहीं रहा

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल सहित देश के ज्यादातर हिस्से तालिबानी लड़ाकों के कब्जे में हैं लेकिन पंजशीर घाटी अब भी आजाद है। तालिबान अभी यहां नहीं पहुंच पाया है। सिर्फ अभी ही नहीं बल्कि तालिबान कभी भी इस इलाके में अपने पैर नहीं जमा पाया है। आज तक तालिबान की कभी हिम्मत नहीं हुई कि वह पंजशीर घाटी पर कब्जा कर सके।

अजेय है पंजशीर घाटी!

तालिबान न सिर्फ अभी बल्कि अपने पहले शासन के दौरान भी पंजशीर घाटी पर कब्जा नहीं कर पाया था। वहीं, उससे पहले 1970 के दशक में सोवियत संघ भी कभी पंजशीर घाटी पर अपना कब्जा नहीं जमा पाया। सोवियत संघ के अलावा अमेरिकी सेना ने भी इस इलाके में सिर्फ हवाई हमले ही किए जबकि जमीन के रास्ते कभी कार्रवाई नहीं की।

पंजशीर घाटी की खासियत

कहा जाता है कि पंजशीर घाटी की भौगोलिक बनावट ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। यह ढाल की तरह काम करती है। इलाके की भौगोलिक बनावट ऐसी है, जहां कोई भी सेना घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। दरअसल, यह इलाका चारों ओर से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। इलाके की भूलभुलैया बहुत खतरनाक है। इस इलाके को समझना किसी बाहरी शख्स के लिए आसान नहीं है।

कहां है पंजशीर घाटी?

पंजशीर घाटी उत्तर-मध्य अफगानिस्तान में स्थित है। यह राजधानी काबुल से करीब 150 किमी उत्तर में है। हिंदु कुश पर्वतों के पास स्थित इस घाटी में करीब एक लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, जिसमें अफगानिस्तान के सबसे बड़े ताजिक समुदाय के लोग भी शामिल हैं। यह इलाका नॉर्दन अलायंस के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद का गढ़ है, उन्हें यहां 'शेर-ए-पंजशीर' भी कहा जाता है।

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