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यूएई और इस्राइल की डील के बाद अबू धाबी के क्राउन प्रिंस पर क्यों भड़के हैं मुसलमान, जानें

इस्राइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच अमेरिका की मध्यस्थता से हुए ऐतिहासिक शांति समझौते को लेकर तमाम मुस्लिम देशों में हलचल मची हुई है।

Written by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : August 15, 2020 11:43 IST
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Image Source : AP इस्राइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच अमेरिका की मध्यस्थता से हुए ऐतिहासिक शांति समझौते को लेकर तमाम मुस्लिम देशों में हलचल मची हुई है।

जेरूशलम: इस्राइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच अमेरिका की मध्यस्थता से हुए ऐतिहासिक शांति समझौते को लेकर तमाम मुस्लिम देशों में हलचल मची हुई है। इस शांति समझौते में अहम भूमिका निभाने वाले अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और संयुक्त अरब अमीरात आर्म्ड फोर्सेज के डिप्टी कमांडर शेख मोहम्मद बिन जाएद अल नाह्यान कई लोगों की नजर में विलेन बन चुके हैं। आखिर इस डील में ऐसा क्या है जो तमाम देशों के मुसलमान और उनके हुक्मरान अबू धाबी के क्राउन प्रिंस से नाराज हैं। फिलीस्तीन ने तो इस समझौते को गद्दारी तक करार दे दिया।

फिलीस्तीन मूवमेंट कमजोर पड़ने का डर

कई मुसलमानों का मानना है कि संयुक्त अरब अमीरात के इस कदम से फिलीस्तीन मूवमेंट कमजोर पड़ जाएगा। हालांकि हकीकत यही है कि पिछले कई सालों से अरब देश इस मसले पर फिलीस्तीन का सिर्फ मुंहजबानी सपोर्ट करते आए हैं। और इस तरह का समझौता करने वाला यूएई पहला देश भी नहीं है। 1948 में इस्राइल बनने के बाद से यह तीसरा इस्राइल-अरब शांति समझौता है। इससे पहले मिस्र ने 1979 में और जॉर्डन ने 1994 में समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। इस तरह देखा जाए तो यूएई ने कोई नया काम नहीं किया है और मूवमेंट कमजोर पड़ने की बात कहना सिर्फ जुबानी जमाखर्च है। 


ईरान और तुर्की की हालत होगी खस्ता
माना जा रहा है कि यूएई के इस फैसले से ईरान और तुर्की की पकड़ इलाके में कमजोर पड़ जाएगी। यही वजह है कि ईरान और तुर्की दोनों ने ही इस फैसले पर जमकर नाराजगी दिखाई। इन दोनों ही देशों ने यूएई पर फिलीस्तीन से वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया। ईरान ने तो इसे फिलीस्तीनी और सभी मुस्लिमों की पीठ पर खंजर मारना करार दिया है। वहीं, तुर्की ने कहा कि लोग यूएई के इस कपटपूर्ण बर्ताव को कभी नहीं भूलेंगे और न ही माफ करेंगे। दरअसल, ये दोनों देश फिलीस्तीन से ज्यादा अपने लिए परेशान हैं। सभी जानते हैं कि इस समय सऊदी अरब और यूएई के लिए इस्राइल से बड़े दुश्मन ईरान और तुर्की है। इन्हीं पर लगाम कसने के लिए यह सारी कवायद चल रही है।

अल अक्सा मस्जिद पर भी दिखी नाराजगी
जेरुशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद पर भी अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जाएद अल नाह्यान के खिलाफ वहां मौजूद लोगों में नाराजगी देखने को मिली। उन्होंने यूएई के झंडे और क्राउन प्रिंस की तस्वीरों को आग लगाई, साथ ही उसे कदमों तले भी रौंदा। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि सभी अरब देश इस ऐतिहासिक समझौते के खिलाफ हैं। मिस्र, जॉर्डन और ओमान जैसे देशों ने इस डील का स्वागत किया है। देखा जाए तो इस डील से वही देश नाराज हैं जो किसी भी तरह इस्राइल के वजूद को पसंद नहीं करते, और उसके साथ जाने वाले हर शख्स या देश को अपना दुश्मन समझते हैं। फिर चाहे वह तुर्की हो, ईरान हो या पाकिस्तान।

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