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G20 की बैठक में क्यों शामिल नहीं हुए चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग? उठ रहे हैं कई सवाल

महामारी की उत्पत्ति के बारे में अधिक जानकारी देने को लेकर चीन पर भारी दबाव रहा है और उस पर महामारी के कुप्रबंधन तथा अपनी गलतियों को छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया जाता रहा है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 03, 2021 19:56 IST
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Image Source : AP चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जनवरी 2020 में पड़ोसी म्यांमार की यात्रा करने के बाद देश से बाहर नहीं गए हैं।

बीजिंग: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग रोम में संपन्न G20 शिखर सम्मेलन और स्कॉटलैंड में आयोजित वैश्विक जलवायु वार्ता से अनुपस्थित रहे जिसकी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन ने आलोचना की और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए चीन की प्रतिबद्धता को लेकर सवाल उठाया। चीन दुनिया में कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे बड़ा उत्सर्जक है और 2030 तक उसने इसमें कमी लाने और 2060 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करने का वादा किया है। अमेरिका और अन्य देशों ने चीन से बड़ी प्रतिबद्धताएं करने का आग्रह किया है, लेकिन शी प्रशासन ने दृढ़ता से कहा है कि केवल राजनीतिक रियायतों के बदले ही ऐसा किया जाएगा।

चीन ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर सख्त यात्रा प्रतिबंध लागू किया है एवं शी जनवरी 2020 में पड़ोसी म्यांमार की यात्रा करने के बाद देश से बाहर नहीं गए हैं। माना जाता है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीनी शहर वुहान में हुई थी और वहीं से वह दुनिया भर में फैला। महामारी की उत्पत्ति के बारे में अधिक जानकारी देने को लेकर चीन पर भारी दबाव रहा है और उस पर महामारी के कुप्रबंधन तथा अपनी गलतियों को छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया जाता रहा है। इस बीच शी जिनपिंग की पिछले कई महीनों से चीन के बाहर न जाने को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर तो इस तरह की चर्चाएं हैं कि तख्तापलट के डर से शी देश के बाहर नहीं जा रहे हैं।

दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि विभिन्न चीनी नेताओं की तरह, शी भी अपनी छवि को लेकर काफी जागरूक हैं और संभावित असहज स्थिति से बचने के लिए उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों को सावधानीपूर्वक तैयार किया जाता है। विगत में वह प्रथम महिला पेंग लियुआन के साथ कई महाद्वीपों की यात्रा कर चुके हैं। रोम और ग्लासगो की बैठकों में शामिल नहीं होने का राष्ट्रपति का निर्णय चीनी नीति के विपरीत प्रतीत होता है। हालांकि शी इन बैठकों से दूर रहने वाले अकेले नहीं नेता हैं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अपने देश में ही रहे। पुतिन विश्व मामलों में अमेरिकी प्रभाव का विरोध करने में चीन के साथ रहे हैं।

बायडेन ने सोमवार को कहा था कि चीन ने ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में भाग नहीं लेकर एक बड़ी गलती की है। उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन के संबंध में चीन की प्रतिक्रिया ठोस है। इस क्रम में उन्होंने वनीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा में हालिया उपलब्धियों का जिक्र किया। बीजिंग के रेनमिन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर शी यिनहोंग ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में टकराव जलवायु परिवर्तन पर दोनों देशों के बीच के सहयोग को जटिल बना रहा है। उन्होंने बैठकों से शी की अनुपस्थिति के लिए महामारी से निपटने के लिए चीन के सख्त दृष्टिकोण को जिम्मेदार ठहराया।

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