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जानें, कौन थे डोनाल्ड ट्रंप के लिए सिरदर्द बन चुके ईरान के ताकतवर जनरल सुलेमानी

ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी की शुक्रवार को इराक की राजधानी बगदाद में अमेरिकी हवाई हमले में मौत हो गई।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 03, 2020 12:30 IST
General Qasem Soleimani, General Qassem Soleimani Iran, Donald Trump- India TV Hindi
US President Donald Trump ordered 'killing' of Iranian commander Qasem Soleimani | AP Photo

बगदाद: ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी की शुक्रवार को इराक की राजधानी बगदाद में अमेरिकी हवाई हमले में मौत हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC), जिसके अंतर्गत कुद्स फोर्स आती है, ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि हमले में इराकी पॉप्युलर मोबलाइजेशन फोर्सेज (PMF) के डेप्युटी कमांडर अबू महदी अल-मुहांदिस भी सुलेमानी के साथ मारे गए। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सुलेमानी को मारने का आदेश क्यों दिया?

ईरान के सबसे ताकतवर सैन्य कमांडर थे सुलेमानी

दरअसल, मेजर जनरल कासिम सुलेमानी ईरान के सबसे ताकतवर सैन्य कमांडर थे। ईरान के एक साधारण परिवार में 11 मार्च 1957 को पैदा हुए सुलेमानी ने तरक्की की सीढ़ियां काफी तेजी से चढ़ी थीं। बेहद ही कम उम्र में अपनी बहादुरी और प्रतिभा का लोहा मनवा चुके सुलेमानी की अमेरिका से अदावत लगभग 4 दशक पुरानी है। ईरान के लिए सुलेमानी की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पश्चिम एशिया में किसी भी मिशन को वही अंजाम देते थे। इराक में इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए ईरान समर्थक पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स के गठन में उनकी ही भूमिका थी। 

General Qasem Soleimani, General Qassem Soleimani Iran, Donald Trump

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कासिम सुलेमानी को मारने का आदेश दिया था। AP File

4 दशक पुरानी थी अमेरिका और कासिम की दुश्मनी
सुलेमानी और अमेरिका की दुश्मनी 1980 के दशक में ही शुरू हो गई थी। ईरान और इराक के बीच कई सालों तक जंग चली और सुलेमानी उसमें एक प्रमुख कमांडर की हैसियत से लड़े। आपको बता दें कि अमेरिका-ईरान की जंग में अमेरिका इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन के साथ था। उस जंग में सुलेमानी ने जबर्दस्त बहादुरी दिखाई थी और अपने देश के कई इलाकों को इराक के कब्जे से वापस लिया था। कासिम सुलेमानी उस लड़ाई में ईरानी सेना की 41वीं डिविजन का नेतृत्व कर रहे थे।

इराक में किया ईरान समर्थक मिलिशिया का गठन
सुलेमानी का प्रभाव इराक में काफी ज्यादा था, और उन्होंने इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए यहां कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एकजुट कर दिया था। ईरान के इस कमांडर ने क्षेत्र में अमेरिकी दखल को सीमित रखने में अहम भूमिका निभाई थी और इसीलिए वह अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मनों में गिने जाते थे। सिर्फ इतना ही नहीं, कहा तो यह भी जाता है कि सुलेमानी ने हिजबुल्लाह और हमास जैसे संगठनों को भी अपना समर्थन दिया था। सीरिया में बशर अल-असद सरकार को भी कासिम सुलेमानी का समर्थन प्राप्त था, जो कि अमेरिका को कतई पसंद नहीं था।


ट्रंप ने लिया दूतावास पर हमले का बदला?
माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने सुलेमानी को मारने का आदेश बगदाद में स्थित अमेरिकी दूतावास पर हमले के बाद ही दे दिया था। अमेरिका द्वारा जारी किए गए एक बयान के मुताबिक, दूतावास पर यह हमला सुलेमानी के ही निर्देश में किया गया था। इसके अलावा अपने सैकड़ों सैनिकों और सहयोगियों की मौत के लिए भी अमेरिका ने सुलेमानी को जिम्मेदार ठहराया। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा भी था कि अमेरिकी दूतावास पर हमले का बदला लिया जाएगा। ट्रंप ने शुक्रवार को ट्विटर पर अमेरिकी झंडा भी ट्वीट किया जिसे इसी घटना से जोड़कर देखा जा रहा है।

सुलेमानी की मौत का क्या होगा प्रभाव?
कासिम सुलेमानी की मौत ईरान के लिए बहुत बड़ा झटका है। सिर्फ इतना ही नहीं, यह ईरान के आत्मसम्मान और उसकी संप्रभुता पर भी बहुत बड़ी चोट है, क्योंकि उसकी सेना के एक जनरल को मार गिराया गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि ईरान भी अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने की पूरी कोशिश करेगा। दोनों देशों के बीच पहले से ही जबर्दस्त तनाव देखने को मिल रहा था, और अब यह हमला आग में घी की तरह काम करेगा। ऐसा भी हो सकता है कि आने वाले दिनों में पूरे मिडिल-ईस्ट में भीषण संघर्ष छिड़ जाए जिसमें कई देश प्रभावित हों।

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