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इस भारतीय के आगे चीन ने झुकाया सिर, LAC पर बढ़े तनाव के बीच भी किया 'सलाम'

पिछले कुछ महीनों में स्थिति काफी गंभीर हो गई है। दोनों देशों के बीच तनाव अगले स्तर पर पहुंच गया है। लेकिन, इन सब स्थितियों के बीच अगर हम आपसे ये कहें कि चीन एक भारतीय के आगे सिर झुकाता है तो?

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 12, 2020 8:58 IST
डॉ द्वारकानाथ कोटनिस का चीन बहुत सम्मान करता है।- India TV Hindi
Image Source : FILE डॉ द्वारकानाथ कोटनिस का चीन बहुत सम्मान करता है।

बीजिंगय/नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर पुराना विवाद रहा है। मौजूदा वक्त में भी भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ा हुआ है। दोनों देशों की सेना एक्टिव है और LAC पर सामान्य दिनों के मुकाबले ज्यादा मुस्तैदी से काम कर रही हैं। चीन बार-बार LAC पर चालाकी करने की कोशिश करता है लेकिन हर बार उसे भारतीय सेना से कड़ी चुनौती मिलती है। पिछले कुछ महीनों में स्थिति काफी गंभीर हो गई है। दोनों देशों के बीच तनाव अगले स्तर पर पहुंच गया है। लेकिन, इन सब स्थितियों के बीच अगर हम आपसे ये कहें कि चीन एक भारतीय के आगे सिर झुकाता है तो? 

कौन हैं जिनके आगे सिर झुकाता है चीन?

पूर्व में एक ऐसे भारतीय रहे हैं, जिनके आगे चीन आज भी सिर झुकाता है और उन्हें नमन करता है। 11 अक्टूबर को उनकी 110वीं जयंती थी, जिसे चीन ने मनाया और उन्हें नमन किया। उनका नाम डॉ द्वारकानाथ कोटनि है। चीन ने रविवार को भारतीय चिकित्सक द्वारकानाथ कोटनिस की 110वीं जयंती मनाई। डॉ द्वारकानाथ कोटनिस का चीन बहुत सम्मान करता है। चीन में हर साल डॉ द्वारकानाथ कोटनिस की जयंती मनाई जाती है।

कोटनिस को इतना क्यों मानता है चीन?

दरअसल, भारतीय चिकित्सक द्वारकानाथ कोटनिस ने माओ त्से तुंग के नेतृत्व में हुई चीनी क्रांति और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन में अपनी सेवाएं दी थीं। महाराष्ट्र के शोलापुर के रहने वाले कोटनिस द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा चीन की मदद के लिए भेजे गये डॉक्टरों के पांच सदस्यीय दल में 1938 में चीन आये थे। इन्होंने बिना किसी स्वार्थ के चीनी सैनिको की सेवा की। जिसे देखकर वहा के सैन्य अधिकारी भी हैरान थे।

32 साल की उम्र में दुनिया छोड़ गए कोटनिस

डॉ द्वारकानाथ कोटनिस 1942 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गये थे। लेकिन, इसी साल उनका निधन भी हो गया। 32 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन, 32 साल की उम्र में ही वह चीन में अपनी ऐसी छवि बना गए कि चीन आज भी उन्हें याद करता है। उन्हें चीन में ‘के दिहुआ’ के नाम से जाना जाता है। 

चीन ने मनाई कोटनिस की जयंती

चीन की सरकार की आधिकारिक संस्था ‘चाइनीज पीपल्स एसोसिएशन फॉर फ्रेंडशिप विद फॉरेन कंट्रीज’ (सीपीएएफएफसी) ने पेकिंग विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के निदेशक के साथ ऑनलाइन जयंती उत्सव मनाया। भारत में चीनी दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी मा जिया और चीनी तथा भारतीय विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, छात्रों और मीडिया प्रतिनिधियों ने भी ऑनलाइन समारोह में भाग लिया।

कौन थे द्वारकानाथ कोटनिस?

द्वारकानाथ कोटनिस एक चिकित्सक थे। उनका जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में साल 1910 में हुआ था। उन्हें चीन में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अपनी सेवाएं देने के लिए याद किया जाता है। उन्होंने चीन में ही मरीजों की सेवा करने वाली एक नर्स गुओ क्विंग लांग से शादी की थी। वह बाद में वहां की कम्युनिस्ट पार्टी में भी शामिल हुए। लेकिन, ज्यादा दिन पार्टी के साथ नहीं रह सके। 1442 में मिरगी का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।

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