म्यामार में हिंसा की वारदाते बढ़ने के बाद से आपने सोशल मीडिया पर जले हुए गांव, घायल और मृत लोगों की तस्वीरें देखी होंगी। लोग इस तरह की तस्वीरें शेयर करते हुए यह लिख रहे हैं कि इन लोगों की आवाज कोई नहीं सुन रहा है। सोशल मीडिया पर अनगिनत हैशटैग भी चल रहे हैं। वहीं 20 साल की नोबल प्राइज विनर मलाला यूसूफ जई का भी बयान ट्वीट पर चल रहा है जिसे 73 हजार गुना देखा गया है।
दक्षिणपूर्व एशिया में अशांति की स्थिति बनी हुई है। 25 अगस्त के बाद से करीब 1 लाख 23 हजार लोग म्यांमार से भाग कर बांग्लादेश पहुंच गए हैं। इन शरणार्थियों में पुरुष, महिला और बच्चे हैं जो अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय के हैं। इन लोगों ने जो बयान किया वो वाकई दर्दनाक है। इनका कहना है कि बर्मा की सेना और राखिने बुद्धिस्टों की भीड़ गांवों को उजाड़ रही है और वहां रहनेवाले रोहिंग्या समुदाय के लोगों की हत्या की जा रही है।
यहां बुद्धिस्ट लोग बहुसंख्यक हैं जबकि रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। इन दोनों के बीच जबर्दस्त तनाव व्याप्त है। वहीं राखिन में बुद्धिस्टों पर हमले के बाद बड़ी तादाद में बुद्धिस्ट दक्षिण की तरफ पलायन कर गए हैं। अगस्त के अंतिम हफ्ते में म्यांमार में पुलिस पोस्ट पर हुए आतंकी हमले के बाद सेना ने रोहिंग्या आतंकवादियों पर सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। इस हमले में सुरक्षा बलों के 12 जवान शहीद हुए थे।