आज पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में फैसला आएगा। पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी न्यायालय अपना फैसला सुनाएगी। घटना के 14 साल बाद इस मामले में फैसला आने वाला है। आपको बता दें कि बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में 5 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। इसमें दक्षिणी वज़ीरिस्तान के शेर ज़मन लाढ़ा, करांची के ऐतज़ाज़ शाह, रावलपिंडी के हसनैन गुल, एन रफ़ाक़त और चारसद्दा के रशीद अहम उर्फ तुराबी। इसके अलावा दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सऊद अजीज़ और खुर्रम शहज़ाद हैदर पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने में लापरवाही और घटनास्थल को तुरंत पानी से धुलने और साफ़ करने के भी आरोप हैं। (अमेरिकी सुरक्षा बल के दबाव के चलते UN ने लेबनान में शांति अभियान बढ़ाया)
क्या था मामला
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और सबसे करिश्माई नेता बेनजीर भुट्टो की नौ साल पहले रावलपिंडी में एक चुनाव प्रचार के दौरान हत्या कर दी गई थी। पाकिस्तान का एक बड़ा तबका उन्हें भ्रष्टाचार और कुशासन के प्रतीक के रूप में देखने लगा। अनेक विश्लेषकों के अनुसार बेनज़ीर के पतन में उनके आसिफ़ ज़रदारी का हाथ रहा है, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी। भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद बेनज़ीर ने 1999 में पाकिस्तान छोड़ दिया और संयुक्त अरब इमारात के नगर दुबई में आकर रहने लगीं। उनकी अनुपस्थिति में पाकिस्तान की सैनिक सरकार ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों की जाँच की और उन्हें निर्दोष पाया गया।
वे 18 अक्टूबर 2007 में पाकिस्तान लौटीं। उसी दिन एक रैली के दौरान कराची में उन पर दो आत्मघाती हमले हुए जिसमें करीब 140 लोग मारे गए, लेकिन बेनज़ीर बच गईं थी। इसके कुछ ही दिन बाद 27 दिसम्बर 2007 को एक चुनाव रैली के बाद उनकी हत्या कर दी गई। उनकी हत्या तब हुई, जब वे रैली खत्म होने के बाद बाहर जाते वक्त अपने कार की सनरूफ़ से बाहर देखते हुए समर्थकों को विदा दे रही थीं। उनकी मौत से पाकिस्तान में लोकतंत्र की बहाली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।