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अमेरिका-तालिबान के बीच शनिवार को समझौते पर हस्ताक्षर की उम्मीद

अफगानिस्तान में सबसे लंबे वक्त तक चले युद्ध से अमेरिका अपने सैनिकों को धीरे-धीरे वापस बुलाने के लिए शनिवार को तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला है इस समझौते से अफगानिस्तान में नये युग की शुरुआत होने की उम्मीद है।

Reported by: Bhasha
Published on: February 27, 2020 20:25 IST
US Afgan - India TV Hindi
US Afgan 

दोहा: अफगानिस्तान में सबसे लंबे वक्त तक चले युद्ध से अमेरिका अपने सैनिकों को धीरे-धीरे वापस बुलाने के लिए शनिवार को तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला है इस समझौते से अफगानिस्तान में नये युग की शुरुआत होने की उम्मीद है। हालांकि, तालिबान की मंशा को लेकर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। दोहा में जिस समझौते पर हस्ताक्षर की उम्मीद है वह तालिबान और अमेरिका के बीच एक साल से अधिक की वार्ता के बाद होने वाला है। समझौते के तथ्यों के बारे में सार्वजनिक खुलासा नहीं किया गया है लेकिन यह उम्मीद है कि पेंटागन अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू करेगा। अफ्रगानिस्तान में अमेरिका के 12 से 13 हजार सैनिक हैं। 

शनिवार को समझौते पर होने वाले हस्ताक्षर से एक हफ्ते पहले आंशिक युद्ध विराम हुआ जिसका मकसद युद्धरत पक्षों के बीच विश्वास कायम करना और यह दिखाना है कि तालिबान अपने आतंकवादियों को नियंत्रित कर सकता है। बहरहाल, ग्रामीण इलाकों में छिटपुट हमले होते रहे। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को कहा कि युद्धविराम की अवधि का असर हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम बहुत बड़े राजनीतिक अवसर के मुहाने पर हैं।’’ संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पिछले दशक में 100,000 से अधिक अफगान नागरिक मारे गए या घायल हुए हैं। एक अफगान अधिकारी ने एएफपी को बताया कि कतर की राजधानी में शनिवार को समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान 30 देशों का प्रतिनिधित्व होने की उम्मीद है। 

हालांकि, अफगानिस्तान सरकार अपना प्रतिनिधि नहीं भेजेगी। अधिकारी ने कहा, ‘‘हम इन वार्ताओं का हिस्सा नहीं हैं। हम तालिबान पर भरोसा नहीं करते हैं।’’ निरंतर घृणा भविष्य की बातचीत के लिये अच्छी नहीं हो सकती है। इससे तनाव और बढ़ेगा। अफगानिस्तान राजनीतिक संकट में फंस गया है क्योंकि अमेरिका राष्ट्रपति अशरफ गनी के पुननिर्वाचन का स्पष्ट रूप से समर्थन करने से मना कर रहा है। वहां पर चुनाव में धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। ट्रंप बार-बार अमेरिकी सैनिकों को स्वदेश बुलाने और अमेरिका के मूर्खतापूर्ण युद्धों को खत्म करने की बात करते रहे हैं। हालांकि, विश्लेषकों की चेतावनी है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने की जल्दबाजी से अकल्पनीय स्थिति पैदा हो सकती है। 

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