बीजिंग: सुपरपावर अमेरिका और एशियाई ड्रैगन चीन के बीच चल रहा तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हाल ही में अमेरिका द्वारा लिए गए कुछ फैसलों से चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है और लगातार उसपर हमले कर रहा है। ताजा मामला अमेरिका द्वारा चीन के करीब 1000 छात्रों का वीजा रद्द करने को लेकर है। अमेरिका के इस फैसले को चीन के विदेश मंत्रालय ने ‘नस्लीय भेदभाव और मानवाधिकार का उल्लंघन’ बताया है। इसके साथ ही चीन ने अमेरिका को धमकी देते हुए कहा है कि इस मामले में आगे कार्रवाई करने के लिए चीन के पास भी अधिकार है।
‘यह राजनीतिक दमन और नस्लीय भेदभाव है’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने एक बयान में कहा कि छात्रों का वीजा रद्द करना ‘राजनीतिक दमन और नस्लीय भेदभाव’ की तरह है। एक दिन पहले ही अमेरिका के कार्यकारी गृह सुरक्षा सचिव चाड वुल्फ ने कहा कि उनके विभाग ने ‘चीनी सेना के साथ जुड़ाव वाले कुछ चीनी छात्रों और शोधार्थियों का’ वीजा रद्द करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि ये छात्र ‘संवेदनशील और गोपनीय सूचनाएं’ हासिल न कर पाएं इसलिए यह कदम उठाया गया है। वुल्फ ने कहा कि चीन ‘छात्र वीजा का दुरुपयोग कर संवेदनशील सूचनाएं इकट्ठा करने’ का काम कर रहा है। उन्होंने इस संबंध में चीनी नागरिकों के कदमों को लेकर एक सूची भी पेश की लेकिन इसमें कुछ ही विवरण दिए गए हैं।
‘करीब 1000 छात्रों का वीजा रद्द किया गया’
बाद में, विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि करीब 1000 छात्रों का वीजा रद्द किया गया है। झाओ ने कहा कि इस कदम से अमेरिका में अध्ययन करने के चीनी छात्रों के वैध अधिकार और हितों को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा, ‘यह राजनीतिक दमन और नस्लीय भेदभाव की कार्रवाई है और इससे वहां पढ़ाई कर रहे चीनी छात्रों के मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन हुआ है। झाओ ने साथ ही कहा कि इस मामले में आगे कार्रवाई करने के लिए चीन के पास भी अधिकार है। बता दें कि व्यापार, प्रौद्योगिकी, बौद्धिक संपदा अधिकार समेत कई मुद्दों पर अमेरिका-चीन के बीच टकराव चल रहा है।