चेंगदू: ह्यूस्टन में चीनी महावाणिज्य दूतावास बंद करने के अमेरिका के फैसले पर पलटवार करते हुए चीन ने भी वाशिंगटन से चेंगदू स्थित अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास बंद करने का आदेश दे दिया था जिसके कुछ दिन बाद ही, वहां लगा अमेरिकी झंडा नीचे कर दिया गया। सोमवार को चीनी मीडिया में झंडे को धीमे-धीमे नीचे करते दिखाया गया। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोप लगाए हैं। पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका और चीन के रिश्ते कोल्ड वॉर की तरह बिगड़े हैं।
चीन मीडिया में महावाणिज्य दूतावास से कई गाड़ियां, अमेरिकी डिप्लोमैट को जाते हुए दिखाया गया। बता दें कि चेंदगू महावाणिज्य दूतावास की स्थापना 1985 में हुई थी। यहां तकरीबन 200 कर्मचारी तैनात थे। चेंगदू, अमेरिका के लिए महत्त्वपूर्ण राजनीतिक मिशन है जो तिब्बत के संवेदनशील क्षेत्र समेत देश के बड़े हिस्से को कवर करता है।
बता दें कि अमेरिका ने ह्यूस्टन में स्थित चीनी महावाणिज्य दूतावास बंद करने का बुधवार को आदेश दिया था। उसने कहा था कि यह कदम, अमेरिकी बौद्धिक संपदा एवं निजी सूचना को संरक्षित रखने के मकसद से उठाया गया। अमेरिकी कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इसे तनाव में अभूतपूर्व वृद्धि करार दिया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी।
शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने ह्यूस्टन में चीनी महावाणिज्य दूतावास पर अमेरिका में बीजिंग के जासूसी अभियान का हिस्सा होने का आरोप लगाया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह देश में और चीनी महावाणिज्य दूतावासों को बंद करने का आदेश दे सकते हैं। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से निपटने के बीजिंग के तरीके को लेकर अमेरिका और चीन के रिश्तों में हाल में काफी खटास देखने को मिली।
शिन्जियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर चीन की कार्रवाई और हांगकांग में बीजिंग द्वारा विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने को लेकर उभरी चिंताओं ने भी द्विपक्षीय तनाव को बढ़ा दिया है। ट्रंप प्रशासन की चीन नीति पर बृहस्पतिवार को दिए गए एक बड़े भाषण में, विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने ह्यूस्टन में चीनी महावाणिज्य दूतावास को जासूसी एवं बौद्धिक संपदा चोरी का केंद्र बताया था।