बीजिंग: भारतीय मूल की एक अमेरिकी पत्रकार को वीजा के मामले पर चीन और अमेरिका आमने-सामने आ गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकार को चीन द्वारा वीजा की अवधि बढ़ाने से कथित रूप से इनकार किए जाने पर उसका अमेरिका के साथ राजनयिक विवाद पैदा हो गया है। अमेरिका ने इस कम्युनिस्ट देश में मीडिया पर ‘व्यापक पाबंदियों’ को लेकर गहरी चिंता प्रकट की है। अमेरिकी न्यूज पोर्टल बजफीडडॉटकॉम से जुड़ी मेघा राजगोपालन ने कहा कि चीन ने संभवत: अशांत शिनचियांग प्रांत में उनकी आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के चलते उनके पत्रकार वीजा की अवधि नहीं बढ़ाई।
अमेरिकी दूतावास ने शुक्रवार को एक बयान में विदेशी और घरेलू पत्रकारों पर अत्यधिक पाबंदियां लगाए जाने पर चिंता प्रकट की। उसने राजगोपालन के वीजा मुद्दे का सीधे तौर पर जिक्र किए बगैर कहा, ‘वह इस बात से बहुत चिंतित है कि चीन में विदेशी और घरेलू पत्रकार लगातार पाबंदियों से जूझ रहे हैं और इनसे उनके काम करने की क्षमता बाधित होती है।’ अमेरिका में कार्यरत चीनी पत्रकारों की संख्या का परोक्ष रुप से जिक्र करते हुए बयान में कहा गया है कि जिस तरह अमेरिका में चीनी मीडिया को खुली पहुंच उपलब्ध है, उसी तरह चीन में भी बेहतर पहुंच जरूरी है।
चीन ने दूतावास के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, ‘मैंने प्रासंगिक रिपोर्ट देखी है। चीन में अमेरिकी दूतावास को पता होना चाहिए कि उसे राजनयिक संबंधों पर वियना संधि को पूरे मन से पालन करना चाहिए, दूतावास के दर्जे से मेल नहीं खाने वाली गतिविधियों से दूर रहना चाहिए और दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। जहां तक चीन में अमेरिकी दूतावास के बयान में उल्लेखित विदेश पत्रकार का सवाल है तो मैंने कल कहा था कि वह चीन में रेसीडेंट विदेशी संवाददाता नहीं है।’
लू कांग ने कहा, ‘जहां तक चीन और अमेरिका के बीच वीजा जारी करने से जुड़े मुद्दे हैं तो अमेरिकी दूतावास को अंतरराष्ट्रीय पद्धतियां मालूम होनी चाहिए।’ आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि चीन में किसी विदेशी पत्रकार को नए वीजा से वंचित किया गया है। पहले भी चीन ने अल जजीरा टेलीविजन और एक फ्रांसीसी पत्रिका के पत्रकारों समेत कई अन्य पत्रकारों का वीजा नवीनीकृत नहीं किया।