दमिश्क। अमेरिकी राष्ट्रपति के आदेश के बाद पहली सैन्य कार्रवाई की गई है। अमेरिका ने पूर्वी सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया आतंकियों के ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी की है। पेंटागन ने कहा है कि यह हवाई हमले इस महीने की शुरूआत में हुए रॉकेट हमले का बदला है। अमेरिका की ये एयरस्ट्राइक इस माह इराक में अमेरिकी जवानों और राजनयिकों के घरों पर हुए हमले के जवाब में की गई है। इस हमले की घोषणा करते हुए अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने कहा कि इस संतुलित सैन्य कार्रवाई को राजनयिक कदमों के साथ अपने साथियों के साथ विचार विमर्श के बाद अंजाम दिया गया है।
बताया जा रहा है कि मिलिशिया गुट ने इराक में अमेरिकी दूतावास पर रॉकेट हमला किया था। रॉकेट हमले में अमेरिकी सैनिक घायल हो गए थे और एक ठेकेदार की मौत हो गई थी। माना जा रहा है कि सुपर पावर अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के एक महीने बाद ही हवाई हमला करके जो बाइडेन ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडेन के आदेश पर हुआ हमला
अमेरिका ने अभी तक हवाई हमले में मौतों पर टिप्पणी नहीं की है, लेकिन सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने दावा किया है कि इस हमले में 17 ईरानी समर्थित आतंकवादी मारे गए। बताया जा रहा है कि अमेरिका ने रॉकेट हमले के जवाब में भले ही यह हवाई हमला किया हो लेकिन उसके दायरे को सीमित रखा है ताकि तनाव न बढ़े। साथ ही इस हमले को सीरिया में अंजाम दिया गया है ताकि इराक की सरकार को राहत मिले जो खुद भी 15 फरवरी को हुए रॉकेट हमले की जांच कर रही है। यह हवाई हमला बाइडेन प्रशासन की पहली सैन्य कार्रवाई है। पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी का कहना है कि हवाई हमले "राष्ट्रपति बाइडेन के आदेश पर किए गए" और इराक में अमेरिकी सैनिकों और सहयोगियों पर हाल में हुए रॉकेट हमलों की प्रतिक्रिया थी। किर्बी ने अपने बयान में कहा, "राष्ट्रपति जो बाइडेन के आदेश पर अमेरिकी सेना ने पूर्वी सीरिया में ईरानी समर्थित लड़ाकों द्वारा इस्तेमाल किए गए बुनियादी ढांचे पर हवाई हमले किए।"
अमेरिका-ईरान में बढ़ता तनाव
इराक में हमलों के पीछे ईरानी समर्थित आतंकवादी समूहों का हाथ बताया जाता है। इन हमलों ने बाइडेन प्रशासन के लिए नई चुनौती पेश किए, अमेरिका परमाणु कार्यक्रम पर तेहरान के साथ वार्ता फिर से शुरू करना चाहता है। बाइडेन प्रशासन का कहना है कि वह 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करना चाहता है, जिससे पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका को बाहर कर लिया था। बाइडेन प्रशासन भी तेहरान को मध्य पूर्व की सुरक्षा के लिए एक सतत खतरे के रूप में देखता है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा, "हम जानते हैं कि हम क्या लक्ष्य कर रहे हैं, हम आश्वस्त हैं कि इन हमलों ने कुछ शिया उग्रवादी समूहों द्वारा इस्तेमाल किए गए ठिकानों को निशाना बनाया।"
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि इस सैन्य कार्रवाई के जरिए राष्ट्रपति बाइडेन ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि हम अमेरिकी और गठबंधन सेना के लोगों की रक्षा करेंगे। बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने कई बार जवाबी सैन्य कार्रवाई की है। इराक में अमेरिकी दूतावास पर रॉकेट हमले ऐसे समय पर किए गए थे जब वॉशिंगटन और तेहरान दोनों वर्ष 2015 में किए गए परमाणु समझौते को फिर से लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता तलाश रहे हैं।