काबुल/वाशिंगटन: अफगानिस्तान के काबुल में एक अमेरिकी हवाई हमले में उस वाहन को निशाना बनाया गया, जिसमें इस्लामिक स्टेट के एक सहयोगी संगठन के कई आत्मघाती हमलावर सवार थे। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि ये आत्मघाती हमलावर काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अमेरिकी सेना के सैन्य निकासी अभियान को निशाना बनाना चाहते थे। अमेरिकी सेना ने इसकी पुष्टि की।
यूएस सेंट्रल कमान के प्रवक्ता कैप्टन बिल अर्बन ने बताया, ‘‘अमेरिकी सैन्य बलों ने काबुल में आत्मरक्षा में एक वाहन पर आज मानव रहित यान (ड्रोन) से हमला किया, जिससे हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आईएसआईएस-के का करीबी खतरा टल गया।’’ अर्बन ने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि हम लक्ष्य पर निशाना साधने में सफल रहे। वाहन में काफी विस्फोटक सामग्री होने का संकेत मिला था।’’
अर्बन ने एक बयान में कहा, 'भविष्य में संभावित खतरों के प्रति हम सतर्क हैं।’’ इससे पहले, तालिबान के एक प्रवक्ता ने अफगानिस्तान में पत्रकारों को एक संदेश में कहा कि अमेरिकी हमले ने एक आत्मघाती हमलावर को निशाना बनाया, क्योंकि वह विस्फोटकों से लदा वाहन चला रहा था। काबुल हवाई अड्डे पर धमाकों में 169 अफगानों और 13 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने के बाद अमेरिका ने रविवार को ड्रोन से दूसरी बार हमला किया।
घटना के बारे में कुछ प्रारंभिक जानकारी है, साथ ही हवाई अड्डे से उत्तर-पश्चिम में स्थित एक इलाके में एक रॉकेट हमले की भी कुछ जानकारी है, जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई। शुरुआती तौर पर दोनों घटनाएं अलग-अलग प्रतीत हो रही हैं, हालांकि दोनों के बारे में अभी कम ही जानकारी उपलब्ध है। काबुल के पुलिस प्रमुख राशिद ने कहा कि रॉकेट हमला काबुल के ख्वाजा बुघरा इलाके में हुआ।
हमले के बाद ‘एसोसिएटेड प्रेस’ द्वारा प्राप्त वीडियो में हवाई अड्डे से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित इमारत से धुआं उठता दिखाई दे रहा है। किसी भी समूह ने अभी तत्काल हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि, आतंकवादियों ने अतीत में रॉकेट दागे हैं। यह रॉकेट हमला ऐसे समय किया गया है, जब अमेरिका अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के लिए एक ऐतिहासिक अभियान संचालित कर रहा है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने पत्रकारों को भेजे संदेश में कहा कि अमेरिका ने हमले में एक हमलावर को निशाना बनाया गया, जो विस्फोटकों से लदे वाहन को चला रहा था। वहीं, दो अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर हवाई हमले को सफल बताया। उन्होंने कहा कि हवाई हमले के बाद भी दूसरे विस्फोट हुए, जिससे वाहन में पर्याप्त मात्रा में विस्फोटक सामग्री मौजूद होने का संकेत मिलता है। यह हवाई हमला काबुल हवाई अड्डे के पास आत्मघाती हमले के बाद अमेरिका द्वारा किया गया दूसरा हमला है।
इस बीच, काबुल के उत्तर में एक लोक गायक के परिवार का कहना है कि तालिबान ने उसे मार डाला। लोक गायक फवाद अंदराबी की गोली मारकर हत्या अंदराबी घाटी में हुई। यह काबुल से लगभग 100 किलोमीटर उत्तर में बगलान प्रांत का एक क्षेत्र है। तालिबान के कब्जे के बाद से घाटी में उथल-पुथल देखी गई है। क्षेत्र के कुछ जिले तालिबान शासन के विरोध वाले मिलिशिया लड़ाकों के नियंत्रण में आ गए हैं।
तालिबान का कहना है कि उसने उन क्षेत्रों को वापस ले लिया है, हालांकि हिंदू कुश पहाड़ों में स्थित पंजशीर अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से केवल एक है जो उसके नियंत्रण में नहीं है। अंदराबी के पुत्र जवाद अंदराबी ने बताया कि तालिबान लड़ाके पहले उनके घर आये और उसकी तलाशी ली, यहां तक कि संगीतकार के साथ चाय भी पी लेकिन शुक्रवार को सब कुछ बदल गया। जवाद ने कहा, ‘‘वह निर्दोष थे, एक गायक थे जो केवल लोगों का मनोरंजन कर रहे थे। उन्होंने उन्हें एक खेत में सिर में गोली मार दी।’’
उनके बेटे ने कहा कि वह न्याय चाहते हैं और एक स्थानीय तालिबान परिषद ने उनके पिता के हत्यारे को दंडित करने का वादा किया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि तालिबान घटना की जांच करेगा, लेकिन हत्या के बारे में कोई अन्य जानकारी नहीं है। सांस्कृतिक अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत करीमा बेन्नौने ने ट्विटर पर लिखा कि उन्हें अंदराबी की हत्या पर ‘‘गंभीर चिंता’’ है।
उन्होंने लिखा, ‘‘हम सरकारों से यह मांग करने का आह्वान करते हैं कि तालिबान कलाकारों के मानवाधिकारों का सम्मान करें।’’ एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने भी हत्या की निंदा की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘इस बात के सबूत बढ़ रहे हैं कि 2021 का तालिबान 2001 के असहिष्णु, हिंसक, दमनकारी तालिबान जैसा ही है। 20 साल बाद भी कुछ भी नहीं बदला है।’’
इस बीच, रविवार को पूरे अफगानिस्तान में निजी बैंकों ने अपना परिचालन फिर से शुरू कर दिया। हालांकि, उन्होंने निकासी को प्रतिदिन 200 डॉलर के बराबर तक सीमित किया। कुछ लोगों ने अभी भी अपनी राशि का उपयोग करने में असमर्थ होने की शिकायत की। सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पिछले चार महीनों में भुगतान नहीं किया गया है।