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तालिबानी राज में भूख से मरता अफगानिस्तान, एक-एक रोटी के लिए तड़प रहे अफगान

सरकारी कर्मचारियों को महीनों से भुगतान नहीं किया गया है और स्थानीय मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है। अफगानिस्तान के अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार विदेशों में हैं और वर्तमान में उनके लेनदेन पर रोक है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : August 31, 2021 23:24 IST
Uncertainty, fear and a fragile economy awaits Afghanistan under Taliban rule
Image Source : AP युद्ध की विभीषका झेलने वाले राष्ट्र की हालत क्या होती है ये अफगानिस्तान में दिखाई देने लगा है।

काबुल: युद्ध की विभीषका झेलने वाले राष्ट्र की हालत क्या होती है ये अफगानिस्तान में दिखाई देने लगा है। अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद तालिबान हैवानियत की हद पार करने लगा है। घर-घर जाकर तलाशी हो रही है। जिन लोगों पर अमेरिका का हमदर्द होने का शक है उनको ऑन स्पॉट गोली मारी जा रही है। बहुत से लोगों की जीभ काट दी गई है। तालिबानी इस काम को कई दिनों से अजाम दे रहे थे, चूंकि पहले ये रूरल एरियाज में लोगो को एग्जीक्यूट करते थे लेकिन अब तो तालिबान शहरों के अंदर घर-घर जाकर लोगों को मार रहा है। वहीं विदेशी फंडिंग पर सांसे ले रहे अफगानिस्तान की हालत और खराब हो गई है क्योंकि अब विदेशी मदद बंद हो चुकी है। पिछले 15 दिन में अफगानिस्तान की इकोनॉमी पूरी तरह जमींदोज हो चुकी है। लोग मुल्क छोडकर भाग रहे हैं और जिनके पास बैंकों में पैसा था वो उसे निकाल नहीं पा रहे क्योंकि दो हफ्ते से बैंक बंद हैं।

अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से पूरी तरह से वापसी के बाद तालिबान के समक्ष अब 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश पर शासन करने की चुनौती है जो बहुत अधिक अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है। तालिबान के समक्ष यह भी चुनौती है कि वह ऐसी आबादी पर इस्लामी शासन के कुछ रूप कैसे थोपेगा जो 1990 के दशक के अंत की तुलना में कहीं अधिक शिक्षित और महानगरों में बसी है, जब उसने अफगानिस्तान पर शासन किया था। अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए काम करने वाले हजारों लोगों के साथ ही 200 अमेरिकी सोमवार की मध्यरात्रि से ठीक पहले काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से अंतिम अमेरिकी सैनिकों के उड़ान भरने के बाद भी देश में बने रहे। 

इसके कुछ घंटे बाद पगड़ी पहने तालिबान नेता तालिबान की बद्री यूनिट के लड़ाकों के साथ हवाई अड्डे पहुंचे और तस्वीर खिंचवायी। तालिबान के एक शीर्ष अधिकारी हिकमतुल्लाह वसीक ने टरमैक पर कहा, ‘‘अफगानिस्तान आखिरकार आजाद हो गया है। सब कुछ शांतिपूर्ण है। सब कुछ सुरक्षित है।’’ वसीक ने लोगों से काम पर लौटने का आग्रह किया और पिछले 20 वर्षों में समूह के खिलाफ लड़ने वाले सभी अफगान के लिए तालिबान की माफी की पेशकश को दोहराया। वसीक ने कहा, ‘‘लोगों को धैर्य रखना होगा। धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो जाएगा। इसमें समय लगेगा।’’ 

अगस्त के मध्य में तालिबान के तेजी से देश पर कब्जा करने के बाद से एक लंबे समय से चल रहा आर्थिक संकट और बढ़ गया है। लोगों की भीड़ लगभग 200 अमरीकी डालर के बराबर दैनिक निकासी सीमा का लाभ उठाने के लिए बैंकों के बाहर जमा हो रही है। सरकारी कर्मचारियों को महीनों से भुगतान नहीं किया गया है और स्थानीय मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है। अफगानिस्तान के अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार विदेशों में हैं और वर्तमान में उनके लेनदेन पर रोक है। हवाई अड्डे के पास ड्यूटी पर तैनात यातायात पुलिस अधिकारी अब्दुल मकसूद ने कहा, ‘‘हम काम पर आते रहते हैं लेकिन हमें भुगतान नहीं मिल रहा है।’’

उन्होंने कहा कि चार माह से वेतन नहीं मिला है। स्थानीय संयुक्त राष्ट्र मानवीय समन्वयक रमीज़ अलकबरोव ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान मानवीय तबाही के कगार पर है।’’ उन्होंने कहा कि सहायता प्रयासों के लिए 1.3 अरब अमरीकी डालर की आवश्यकता है, जिसमें से केवल 39 प्रतिशत ही प्राप्त हुआ है। तालिबान को अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वे पश्चिमी देशों को कुछ लाभ वाली स्थिति में रख सकती हैं। पश्चिमी देश तालिबान पर इसको लेकर दबाव डाल सकते हैं कि वह मुक्त यात्रा की अनुमति देने, एक समावेशी सरकार बनाने और महिलाओं के अधिकारों की गारंटी दे। 

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