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पाकिस्तान चुनाव: आतंकवादी उम्मीदवार बने मजहबी पार्टियों के लिए खतरा

पाकिस्तान में राजनीतिक पार्टियां आतंकवादी और जिहादी संगठनों से खतरा महसूस कर रही हैं जिन्होंने 25 जुलाई को होने वाले चुनाव के लिए प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को उतारा है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 23, 2018 20:13 IST
चित्र का इस्तेमाल...- India TV Hindi
चित्र का इस्तेमाल प्रतीक के तौर पर किया गया है।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की परंपरागत मजहबी पार्टियां आतंकवादी और जिहादी संगठनों से संबंधित अति दक्षिणपंथी समूहों से खतरा महसूस कर रही हैं जिन्होंने 25 जुलाई को होने वाले चुनाव के लिए प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को उतारा है। इस्लाम के विभिन्न फिरकों की धार्मिक पार्टियों के गठबंधन मुत्ताहिदा मजलिस - ए - अमल (एमएमए) ने कौमी (नेशनल) असेंबली के प्रत्यक्ष निर्वाचित क्षेत्रों से 192 उम्मीदवारों को उतारा है जबकि कट्टरमंथी मौलाना खादिम रिजवी की तहरीक - ए - लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने अकेले ही 178 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। 

एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने खबर दी है कि मौजूदा दक्षिणपंथी पार्टियां अति दक्षिणपंथी समूहों से खतरा महसूस कर रही हैं जिन्होंने सूबाई (प्रांतीय) और कौमी असेंबली की विभिन्न सीटों पर बड़ी संख्या में प्रत्याशियों को उतारा है। एमएमए में काजी हुसैन अहमद की अध्यक्षता वाली जमात - ए - इस्लामी , मौलाना फजल उर रहमान की अगुवाई वाले जमीयत उलेमा - ए - इस्लाम - फजल , मौलाना शाह अहमद नूरानी के नेतृत्व वाले जमीयत उलेमा - ए - पाकिस्तान और अल्लामा साजिद नकवी की अध्यक्षता वाली तहरीक - ए - जफारिया जैसी पारंपरिक मजहबी पार्टियां शामिल हैं। 

अधिकतर अति दक्षिणपंथी पार्टियों ने मुखौटा दलों से अपने उम्मीदवार उतारे हैं। अखबार ने कहा कि कट्टरपंथी संगठन सिपा - ए - सहाबा पार्टी से पाकिस्तान राह - ए - हक पार्टी उभरी है जबकि हाफीज सईद के अगुवाई वाले जमात उद - दावा के मुखौटा संगठन के तौर पर अल्लाह - उ - अकबर पार्टी सामने आई है। रिजवी की टीएलपी भी मैदान में है। इन्होंने एमएमए गठबंधन से ज्यादा उम्मीदवार उतारे हैं। डॉन अखबार ने ‘ आतंकवादी उम्मीदवार ’ शीर्षक वाले संपादकीय में कहा है कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में कट्टरपंथी आतंकवाद और जिहादी समूह से मजबूत संबंध रखने वाले उम्मीदवारों को आम चुनाव लड़ने की इजाजत दी जा रही है।

परेशान करने वाली बात तो यह है कि जिन संस्थानों कें पास इन्हें चुनावी राजनीति में आने से रोकने की कानूनी और संवैधानिक शक्तियां हैं वे इधर - उधर देख रहे हैं। 

जमात उद - दावा का वरिष्ठ नेता और लश्कर - ए - तैयबा की केंद्रीय सलाहकार समिति का सदस्य कारी मोहम्मद शेख लाहौर की एक संसदीय सीट से चुनाव मैदान में है। वह अमेरिका की आतंकी सूची में शामिल है। प्रतिबंधित अहल - ए - सुन्नत वल जमात अहमद का प्रमुख मौलाना अहमद लुधियानवी झांग से निर्दलीय उम्मीवार के तौर पर चुनाव लड़ रहा है जबकि इसी समूह का कराची का नेता औरंगजेब फारूकी राह - ए - हक पार्टी से कौमी असेंबली के लिए मैदान में है। 

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