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रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2018: भारत वाटवानी और सोनम वांगचुक को दिया गया सम्मान

दोनों भारतीय एशिया का नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाले इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाले 6 लोगों में शामिल हैं।

Reported by: Bhasha
Published : August 31, 2018 21:54 IST
Two Indians, Bharat Vatwani & Sonam Wangchuk, receive Ramon Magsaysay Award | AP
Two Indians, Bharat Vatwani & Sonam Wangchuk, receive Ramon Magsaysay Award | AP

मनीला: सड़कों पर मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए काम करने वाले मनोचिकित्सक भारत वाटवानी तथा आर्थिक प्रगति के लिए विज्ञान और संस्कृति को रचनात्मक रूप से काम में लाकर लद्दाखी युवकों की जिंदगियां बदलने वाले सोनम वांगचुक को आज इस साल के लिए प्रतिष्ठित रमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला। दोनों भारतीय एशिया का नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाले इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाले 6 लोगों में शामिल हैं। रमन मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन ने इस मौके पर विजेता के लिए दिए प्रशस्ति पत्र में वाटवानी के कार्यों का उल्लेख किया।

मुंबई के वाटवानी और उनकी पत्नी ने सड़कों पर रहने वाले मानसिक रूप से बीमार लोगों को इलाज के लिए उनके निजी क्लिनिक पर लाने का अभियान शुरू किया जिसके चलते उन्होंने 1988 में श्रद्धा रिहेब्लिटेशन फाउंडेशन स्थापित किया। इसका मकसद सड़कों पर रह रहे मानसिक रूप से बीमार लोगों को बचाना, उन्हें निशुल्क आवास, भोजन तथा मनोचिकित्सा मुहैया कराना और उन्हें उनके परिवारों से फिर से मिलाना है। वांगचुक (51) को सुदूर उत्तर भारत में शिक्षा प्रणाली में उनके अनोखे व्यवस्थित, सहयोगपूर्ण और सामुदायिक सुधार के लिए जाना जाता है जिससे लद्दाखी युवाओं की जिंदगियों में सुधार आया।

वांगचुक श्रीनगर NIT में 19 वर्षीय इंजीनियरिंग के छात्र थे जब वे अपनी स्कूलिंग का खर्च उठाने के लिए ट्यूशन पढ़ाने लगे। साल 1988 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद वांगचुक ने स्टूडेंट्स एजुकेशन एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की स्थापना की और ऐसे लद्दाखी छात्रों को कोचिंग देनी शुरू की जिनमें से 95 प्रतिशत सरकारी परीक्षाओं में फेल हो जाते थे। कोलंबिया के युक चांग, ईस्ट तिमोर की मारिया डी लॉर्दिस मार्टिंस क्रूज, फिलीपीन के हॉवर्ड डी और वियतनाम के वो थी होआंग येन इस पुरस्कार के अन्य विजेता हैं। प्रत्येक विजेता को एक सर्टिफिकेट, एक पदक और नकद पुरुस्कार दिया गया।

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