लाहौर: प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पुलिसकर्मियों पर कथित तौर पर छोटी मशीन गन (SMG) से गोलीबारी की जिसके बाद से सुरक्षा अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं। पाकिस्तानी मीडिया की खबरों में बताया गया कि इसके बाद अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि कट्टरपंथी इस्लामी ‘आतंकवादी समूह’ में तब्दील हो गए हैं। ‘डॉन’ अखबार ने खबर दी कि उच्चस्तरीय बैठक में मोबाइल फोन का एक फुटेज पेश किया किया जिसमें दिख रहा है कि गुरुवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के कामोक में पार्टी के सदस्यों ने पुलिसकर्मियों पर SMG से 80 राउंड गोलियां चलाईं।
गोलीबारी में 2 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई
खबर में बताया गया कि हमले की अन्य घटनाएं भी हुईं जो दिखाता है कि TLP कार्यकर्ताओं द्वारा की गई गोलीबारी में 2 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई जबकि 16 अन्य जख्मी हो गए। अखबार ने पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया, ‘इससे पुलिस के उच्चाधिकारी आश्चर्यचकित हैं कि TLP को हथियार कहां से प्राप्त हो रहे हैं और उन्हें चलाने का प्रशिक्षण उन्हें कैसे मिल रहा है।’ उन्होंने कहा कि उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक में हिस्सा लेने वाले अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि TLP ‘आतंकवादी समूह’ में तब्दील हो गया है और सरकार को संगठन के प्रति अपनी नीति के बारे में गंभीरता से समीक्षा करनी चाहिए।
TLP के हजारों कार्यकर्ता शनिवार को वजीराबाद में जमे रहे
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने खबर दी कि सरकार तथा पार्टी नेतृत्व के बीच वार्ता के किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने के बाद TLP के हजारों कार्यकर्ता शनिवार को वजीराबाद में जमे रहे। ‘जियो न्यूज’ की एक खबर के मुताबिक, धार्मिक मामलों एवं अंतरधार्मिक सौहार्द मामलों के मंत्री पीर नूर-उल-हक कादरी ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान की सरकार और TLP के बीच वार्ताकार के तौर पर काम करने के लिए 12 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। TLP के कार्यकर्ताओं ने पिछले हफ्ते लाहौर से इस्लामाबाद तक रैली निकालकर पाकिस्तान सरकार से अपने नेता साद रिजवी की रिहाई की मांग की।
फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर निकालने की मांग
बता दें कि साद रिजवी को पिछले साल फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। फ्रांस की एक पत्रिका ने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रकाशित किए थे जिसके खिलाफ उन्होंने पिछले वर्ष प्रदर्शन किए थे और फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर निकालने की मांग की थी।