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चीन ने अरूणाचल में उठाया ये कदम, नाजुक होंगे भारत-चीन के रिश्ते

दलाई लामा की अरूणाचल यात्रा को लेकर भारत के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराने के कुछ ही दिन बाद चीन ने पहली बार इस राज्य के........

India TV News Desk
Published on: April 19, 2017 12:16 IST
these steps taken by china in arunachal will be fragile...- India TV Hindi
these steps taken by china in arunachal will be fragile india china relations

बीजिंग: दलाई लामा की अरूणाचल यात्रा को लेकर भारत के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराने के कुछ ही दिन बाद चीन ने पहली बार इस राज्य के छह स्थानों के मानकीकृत आधिकारिक नामों की घोषणा कर दी है और पहले से जोखिमपूर्ण चल रही स्थिति को और अधिक नाजुक बना दिया है। सरकारी मीडिया ने कहा है कि इस कदम का उद्देश्य इस राज्य पर चीन के दावे को दोहराना था। चीन इस राज्य को दक्षिण तिब्बत कहता है। सरकारी ग्लोबल टाइम्स की खबर के अनुसार, चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने 14 अप्रैल को घोषणा की थी कि उसने केंद्र सरकार के नियमों के अनुरूप दक्षिण तिब्बत (जिसे भारत अरूणाचल प्रदेश कहता है) के छह स्थानों के नामों का चीनी, तिब्बती और रोमन वर्णों में मानकीकरण कर दिया है।

रोमन वर्णों का इस्तेमाल कर रखे गए छह स्थानों के नाम वोग्यैनलिंग, मिला री, कोईदेंगारबो री, मेनकुका, बूमो ला और नमकापब री है। भारत और चीन की सीमा पर 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा विवाद का विषय है। चीन अरूणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत कहता है जबकि भारत का कहना है कि विवादित क्षेत्र अक्सई चिन क्षेत्र है, जिसे चीन ने वर्ष 1962 के युद्ध में कब्जा लिया था। दोनों पक्ष अब तक सीमा विवाद को हल करने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के साथ 19 वार्ताएं कर चुके हैं।

चीन के इस हालिया कदम से कुछ ही दिन पहले दलाईलामा ने अरूणाचल प्रदेश की यात्रा की थी। यह यात्रा उनके तवांग के रास्ते तिब्बत छोड़ने और भारत में शरण मांगने के बाद सातवीं यात्रा थी। 81 वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक नेता की यात्रा के दौरान चीन ने भारत को चेतावनी दी थी कि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता और हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा। अखबार के अनुसार, छह स्थानों के नामों के मानकीकरण पर टिप्पणी करते हुए चीनी विशेषग्यों ने कहा कि यह कदम विवादित क्षेत्र में देश की क्षेत्रीय संप्रभुता को सुनिश्चित करने के उठाया गया है।

बीजिंग की मिंजू यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना में एथनिक स्टडीज के प्रोफेसर जियोंग कुनजिन के हवाले से कहा गया, मानकीकरण का यह कदम एक ऐसे समय पर उठाया गया है, जब दक्षिण तिब्बत के भूगोल को लेकर चीन की समझ और इसके प्रति मान्यता बढ़ रही है। स्थानों के नाम तय करना दक्षिण तिब्बत में चीन की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि की दिशा में उठाया गया कदम है। जियोंग ने कहा कि क्षेत्रों के नामों को वैध रूप देना कानून का हिस्सा है। तिब्बत एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज में एक शोधार्थी गुओ केफन ने कहा, ये नाम प्राचीन समय से अस्तित्व में हैं लेकिन ये पहले कभी मानकीकृत नहीं थे। इसलिए इन नामों की घोषणा एक तरह से उसका इलाज है।

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