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रोहिंग्या मामले में ‘नरसंहार की कोई मंशा’ नहीं थी : आंग सान सू ची

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित म्यामां की असैन्य नेता आंग सांग सू ची ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ अपने देश के सैन्य अभियान का बचाव करते हुए कहा कि इसके पीछे ‘‘नरसंहार की कोई मंशा’’ नहीं थी। 

Reported by: Bhasha
Published on: December 11, 2019 18:20 IST
Aung San Suu Kyi- India TV Hindi
Aung San Suu Kyi

हेग: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित म्यामां की असैन्य नेता आंग सांग सू ची ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ अपने देश के सैन्य अभियान का बचाव करते हुए कहा कि इसके पीछे ‘‘नरसंहार की कोई मंशा’’ नहीं थी। हेग में जजों को संबोधित करते हुए सू ची ने माना कि सेना ने अत्यधिक बल प्रयोग किया, लेकिन इससे साबित नहीं होता है कि अल्पसंख्यक समूहों का सफाया करने की मंशा थी। 

अफ्रीकी देश गांबिया ने म्यामां में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ 2017 में चलाए गए सैन्य अभियान का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय अदालत में उठाया है। सेना के अभियान में हजारों लोग मारे गए और सात लाख 40 हजार रोहिंग्या लोगों ने पड़ोस के बांग्लादेश में पनाह ली । लंबे समय तक म्यामां के जुंटा को चुनौती दे चुकी सू ची इस बार अपने देश का पक्ष रख रही हैं । बर्मा का पारंपरिक पोशाक पहने और बालों में फूल लगाए सू ची ने अदालत से कहा, ‘‘अफसोसजनक है कि गांबिया ने रखाइन प्रांत में हालात के बारे में अदालत के सामने भ्रामक और बनावटी तस्वीरें पेश की हैं।’’ 

उन्होंने दलील दी कि 2017 में सैकड़ों रोहिंग्या आतंकवादियों के हमले के बाद सेना ने कार्रवाई की थी । उन्होंने कहा, ‘‘इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का अनादर करते हुए कुछ मामलों में रक्षा सेवाओं के सदस्यों ने अत्यधिक बल का प्रयोग किया या वे हमलावरों और नागरिकों के बीच भेद नहीं कर पाए।’’ सू ची ने कहा कि म्यांमा खुद ही मामलों की जांच कर रहा है। उन्होंने जोर दिया कि ‘‘निश्चित रूप से इन परिस्थितियों में नरसंहार की मंशा एकमात्र अवधारणा नहीं हो’’ सकती है। मुस्लिम बहुल गांबिया का आरोप है कि म्यामां ने नरसंहार रोकने में 1948 के समझौते का उल्लंघन किया। 

संयुक्त राष्ट्र के जांच अधिकारियों ने पिछले साल रोहिंग्या के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को नरसंहार बताया था । अदालत परिसर के सामने म्यामां और सू ची के समर्थक भी जुटे। उधर, रोहिंग्या समर्थकों ने भी वहां इकट्ठा होकर ‘आंग सान सू ची, आप पर शर्म आती है’’ जैसे नारे लगाए। सुनवाई की शुरूआत में गांबिया के न्याय मंत्री अबूबकर तमबादोउ ने अदालत से कहा कि यह बेहद निराशाजनक होगा, अगर सू ची म्यामां की ज्यादती को लेकर फिर से इनकार करती हैं। उन्होंने अदालत से नरसंहार पर रोक लगाने को कहा। 

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