तोक्यो: जापान और दक्षिण कोरिया के बीच 'कम्फर्ट वूमन' मूर्तियों को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। दक्षिण कोरिया में इस मुद्दे को लेकर हो रहे प्रदर्शनों के बीच एक साधु ने खुद को आग के हवाले कर दिया तो वहीं जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने संकेत दिए हैं कि वह पड़ोसी देश से इन मूर्तियों को हटाने का आग्रह करेंगे। 'कम्फर्ट वूमन' उन महिलाओं को कहा जाता है जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने अपने सैनिकों की यौन दासियां बनने के लिए मजबूर किया था।
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रविवार को एनएचके टीवी कार्यक्रम में आबे ने दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में जापानी वाणिज्य दूतावास के सामने एक बैठी हुई लड़की की मूर्ति के संदर्भ में यह बात कही। उन्होंने संकेत दिया कि वह इसे और सोल में जापानी दूतावास के सामने लगी ऐसी ही एक और मूर्ति को हटाने की मांग करेंगे। आबे ने कहा कि साल 2015 में दोनों देशों कीसरकारों के बीच 'कम्फर्ट वूमन' का मुद्दा अंतिम रूप से सुलझाने के मुद्दे पर सहमति बनी थी।
आबे ने कहा कि जापान इस करार के तहत अपनी जिम्मेदारियों को निष्ठा के साथ निभा रहा है और पूर्व कर्म्फट वूमन की सहायता करने वाली संस्था को उसने 85 लाख डॉलर दिया है। आबे ने कहा कि दक्षिण कोरिया को अपना दायित्व निभाना है। उन्होंने कहा कि सरकार बदलने के बाद भी करार का सम्मान करना एक राष्ट्रीय साख की बात है।
दोनों देशों के बीच तनाव तब बढ़ा जब बीते शुक्रवार को तोक्यो ने दक्षिण कोरिया से अपने राजदूत वापस बुला लिए। असल में जापान ने ऐसा बुसान में उसके वाणिज्य दूतावास के सामने कम्फर्ट विमिन की प्रतिमा लगाने के बाद किया। जापान ने इसे साल 2015 के समझौते का उल्लंघन बताया। दक्षिण कोरिया में आलोचकों का मानना है कि यह समझौता युद्ध के समय किए गए जापान के दुर्व्यवहार की क्षतिपूर्ति नहीं कर सकता है।