नई दिल्ली. अफगानिस्तान में तालिबान एकबार फिर से बहुत तेजी से पैर पसार रहा है। तालिबान ने कंधार और गजनी पर भी कब्जा कर लिया है और अब वो राजधानी काबुल से महज 80 किलोमीटर दूर है। अफगानिस्तान में हालातों को देखकर लगता है कि वहां सरकार ने हौसले पस्त हो चुके हैं। काबुल और आसपास के इलाकों में जहां पर सरकार का नियंत्रण है, वहां सन्नाटा पसरा हुआ है, लोग अपने भविष्य को लेकर फिक्रमंद हैं। इन हालातों के बीच तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन से बात की है भारत की न्यूज एजेंसी ANI ने। सुहैल शाहीन ने ANI से बातचीत में कहा, "अगर भारत सैन्य रूप में अफगानिस्तान आता है और अपनी मौजूदगी दर्ज कराता है, तो मुझे लगता है कि यह उनके लिए अच्छा नहीं होगा। वो अफगानिस्तान में अन्य देशों की सेनाओं का हाल देख ही चुके हैं, ऐसे में ये उनके लिए खुली किताब है।"
अफगानिस्तान में भारत के प्रोजेक्ट्स की तारीफ
तालिबान से जब अफगानिस्तान में भारत सरकार द्वारा डवलप किए गए प्रोजेक्ट्स के बारे में सवाल किया गया तो सुहैल शाहीन ने कहा कि वे (भारत) अफगान लोगों या राष्ट्रीय परियोजनाओं की मदद करते रहे हैं। उन्होंने अतीत में ऐसा किया है। मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जिसकी सराहना की जानी चाहिए। सुहैल शाहीन ने कहा कि हम हर उस चीज की तारीफ करते हैं जो अफगानिस्तान के लोगों के लिए की गई है, जैसे की बांध, राष्ट्रीय और बुनियादी परियोजना का निर्माण और ऐसा कुछ भी जो अफगानिस्तान के विकास, पुनर्निर्माण और लोगों की लिए आर्थिक समृद्धि के लिए हो।पाकिस्तान कर रहा तालिबान की मदद?
सुहैल शाहीन ने कहा कि ये आरोप बेबुनियाद है कि तालिबान के पाकिस्तान और पाकिस्तान बेस्ड आतंकी समूहों से गहरे संबंध हैं और उसे वहां से मदद मिल रही है। सुहैल शाहीन ने कहा कि ये आरोप जमीनी हकीकत पर आधारित नहीं हैं बल्कि हमारे प्रति उनकी कुछ नीतियों के आधार पर, राजनीति से प्रेरित लक्ष्यों के आधार पर हैं। तालिबान ने कहा कि भारत के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती के उपयोग के सवाल पर कहा कि हमारी एक सामान्य नीति है कि हम किसी को भी पड़ोसी देशों सहित किसी भी देश के खिलाफ अफगान धरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
क्या भारत-तालिबान में हुई बातचीत
सुहैल शाहीन ने कहा कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल के हमारे प्रतिनिधिमंडल से मिलने की ख़बरें थीं, लेकिन मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता। मेरी जानकारी के अनुसार बैठक नहीं हुई है, लेकिन कल दोहा में हमारी एक बैठक थी, जिसमें एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भी भाग लिया था।
क्या गुरुद्वारे के संचालकों को धमकाया था?
सुहैल शाहीन ने कहा कि सिख समुदाय ने 'निशान साहिब' को खुद ही हटाया था। जब हमारे सुरक्षा अधिकारी वहां गए तो उन लोगों ने बताया कि अगर यहां झंडा दिखाई देता तो कोई उन्हें परेशान कर सकता है। हमारे लोगों ने उन्हें भरोसा दिया, जिसके बाद सिख समुदाय ने निशान साहिब को खुद लगा दिया। सुहैल शाहीन ने ये भी कहा कि हमारी तरफ से दूतावासों और राजनयिकों को कोई खतरा नहीं है। हम किसी दूतावास या राजनयिक को निशाना नहीं बनाएंगे। हमने अपने बयानों में कई बार ऐसा कहा है। यह हमारी प्रतिबद्धता है।