इस्लामाबाद: तालिबान ने कहा है कि वह सत्ता पर एकाधिकार नहीं चाहता, लेकिन अफगानिस्तान में तब तक शांति नहीं हो सकती जब तक राष्ट्रपति अशरफ गनी सत्ता से नहीं हट जाते और देश में बातचीत के जरिए नयी सरकार नहीं बन जाती। तालिबान के प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने एक इंटरव्यू में कहा कि तालिबान उस वक्त हथियार डाल देगा जब गनी की सरकार चली जाएगी और ऐसी सरकार सत्ता संभालेगी जो संघर्ष में शामिल सभी पक्षों को मंजूर हो। शाहीन वार्ता दल के सदस्य भी हैं।
‘हम वही फॉर्मूला दोहराना नहीं चाहते’
शाहीन ने कहा,‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम सत्ता पर एकाधिकार में विश्वास नहीं रखते क्योंकि कोई भी सरकार, जिसने अतीत में अफगानिस्तान में सत्ता पर एकाधिकार रखने मंशा की, वह सफल सरकार साबित नहीं हुई।’ उन्होंने इस आकलन में प्रत्यक्ष तौर पर तालिबान के खुद के 5 वर्ष के कार्यकाल को भी शामिल किया। साथ ही कहा,‘इसलिए हम वही फॉर्मूला दोहराना नहीं चाहते।’ तालिबान प्रवक्ता ने इस दौरान गनी को युद्ध को उकसाने वाला करार दिया और आरोप लगाया कि बकरीद के पर्व पर मंगलवार को उन्होंने जो भाषण दिया था उसमें उन्होंने तालिबान के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया था।
अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने तालिबान नेताओं से की बात
पिछले सप्ताह सरकार में नबंर 2 की हैसियत रखने वाले अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने दोहा में तालिबान नेताओं के साथ उच्च स्तरीय वार्ता की। इस वार्ता में बातचीत जारी रखने और नागरिकों की सुरक्षा तथा देश के ढांचे को सुरक्षित रखने पर जोर दिया गया था। शाहीन ने इस वार्ता को अच्छी शुरूआत बताया, साथ ही कहा कि सरकार का लगातार संघर्ष विराम की मांग करना, वह भी गनी के सत्ता में रहते हुए, तालिबान से आत्मसमर्पण की मांग करने के बराबर है। उन्होंने कहा,‘वे सामंजस्य नहीं चाहते, वे आत्मसमर्पण चाहते हैं।’
‘...तो अफगानिस्तान में फिर कोई युद्ध नहीं होगा’
शाहीन ने कहा,‘संघर्ष विराम से पहले नयी सरकार पर सहमति बने जो हमें और अन्य अफगानियों को स्वीकार्य हो और फिर कोई युद्ध नहीं होगा।’ शाहीन ने कहा कि इस नयी सरकार के तहत महिलाओं को काम करने, स्कूल जाने और राजनीति में भाग लेने की अनुमति होगी, लेकिन उन्हें हिजाब या सिर पर स्कार्फ लगाना होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को घरों से निकलने के लिए अपने साथ किसी पुरुष रिश्तेदार की आवश्यकता नहीं होगी, और तालिबान कमांडरों के आदेश हैं कि नए कब्जे वाले जिलों में विश्वविद्यालय, स्कूल और बाजार पहले की तरह संचालित हों, जिसमें महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी भी शामिल है।