काबुल: तालिबान ने हर साल की तरह ही इस साल भी वसंत के मौसम में फिर से अपने हमलों को तेज कर दिया है। तालिबान के आज से शुरू हुए इन हमलों से लगता है कि उसने अफगानिस्तान सरकार की शांति वार्ता की पेशकश को ठुकरा दिया है। तालिबान के एक बयान के मुताबिक उसका ‘ आपरेशन अल खंदक ’ अमेरिकी बलों को , उनके ‘‘ खुफिया एजेंटों ’’ और साथ ही साथ उनके ‘‘ अंदरूनी हिमायतियों ’’ को निशाना बनाएगा। आम तौर पर जाड़े में हमलों का सिलसिला बंद हो जाता है और वसंत में शुरू हो जाता है। बहरहाल , इस साल तालिबान ने अफगान और अमेरिकी बलों पर अपना हमला जारी रखा था। (जानें कौन है यह 25 साल का लड़का जिसने किया है पाक सरकार की नाक में दम)
तालिबान ने कहा कि आपरेशन अल खंदक में ‘‘ अमेरिकी आक्रांताओं और उनके समर्थकों को कुचलने , मारने और पकड़ने ’’ पर जोर होगा। तालिबान ने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी अड्डों की मौजूदगी ‘‘ शांति के सभी मौके को खत्म ’’ करती है और ‘‘ जारी जंग लंबी ’’ करती है। पश्चिमी और अफगानिस्तान विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान की घोषण परोक्ष रूप से वार्ता की पेशकश को ठुकराए जाने का संकेत है।
अफगानिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक और काबुल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अहमद सईदी ने कहा कि इस साल वे अफगानिस्तान सरकार को और कमजोर करने की कोशिश करेंगे। वे चुनाव प्रक्रिया को भी पटरी से उतारने का प्रयास करेंगे। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रादमनीश ने तालिबान के ऐलान को केवल ‘दुष्प्रचार’’ करार दिया।