काबुल/नई दिल्ली: काबुल स्थित एक समाचार पत्र में शनिवार को प्रकाशित एक संपादकीय के अनुसार, तालिबान वही कर रहा है जो पाकिस्तानी सेना और खुफिया सेवा उसे बता रही हैं। द काबुल टाइम्स के संपादकीय में कहा गया है कि वर्तमान में तालिबान जिहाद के नाम पर हत्या और विनाश में शामिल है और देश में पाकिस्तान के आदेशों को लागू करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। उन्होंने आगे दावा किया कि तालिबान नेता स्वतंत्र रूप से पड़ोसी देश में आते-जाते हैं और यहां तक कि जुमे की नमाज के दौरान लोगों से खुले तौर पर पैसा इकट्ठा करते हैं।
हाल ही में सोशल मीडिया पर वीडियो में दिखाया गया है कि तालिबान मारे गए आतंकवादियों के शवों को पाकिस्तान ले जा कर वहां अंतिम संस्कार कर रहा था। पहले की कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दिखाया गया था कि पड़ोसी देश तालिबान नेताओं और लड़ाकों को चिकित्सा सेवाएं भी प्रदान कर रहा था। इसमें कहा गया है कि विद्रोहियों के खिलाफ जारी सैन्य अभियान तब तक वांछित परिणाम नहीं देगा, जब तक कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ युद्ध में कड़े कदम नहीं उठाता और अपने यहां मौजूद तालिबान और अन्य आतंकवादियों के ठिकानों को बंद नहीं करता है।
संपादकीय में लिखा है कि संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और नाटो के सदस्य देशों को पाकिस्तान को आतंकवादी समूहों का समर्थन छोड़ने के लिए मनाने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो 9/11 जैसी एक और घटना देखने को मिल सकती है और इसकी जड़ें भी निश्चित रूप से पाकिस्तान में होंगी। संपादकीय में कहा गया है कि तालिबान की बढ़ती हिंसा और कुछ जिलों पर कब्जे के साथ ही अब आम लोगों ने तालिबान की हर तरह से मदद के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराना शुरू किया है। वहीं, अफगानिस्तान सरकार ने भी आरोप लगाया है कि पाकिस्तान ने तालिबान के लिए समर्थन बढ़ा दिया है।