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अपने नापाक रिश्ते की सच्चाई बताए तालिबान, पाकिस्तान सरकार: अफगानिस्तान

अफगानिस्तान के एक शीर्ष नेता ने कहा है कि अफगान शांति वार्ता में तालिबान और अन्य आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान सेना के समर्थन का मुद्दा शामिल किया जाना चाहिए और उनके साथ इसके नापाक रिश्ते की सच्चाई निश्चित रूप से जाहिर करनी चाहिए।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 14, 2019 16:06 IST
imran khan- India TV Hindi
imran khan

वॉशिंगटन: अफगानिस्तान के एक शीर्ष नेता ने कहा है कि अफगान शांति वार्ता में तालिबान और अन्य आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान सेना के समर्थन का मुद्दा शामिल किया जाना चाहिए और उनके साथ इसके नापाक रिश्ते की सच्चाई निश्चित रूप से जाहिर करनी चाहिए। इस महीने की शुरुआत में अफगानिस्तान सुलह के लिए विशेष अमेरिकी प्रतिनिधि जालमये ममोजी खलीलजाद के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने कतर के दोहा में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में उच्च स्तरी तालिबानी टीम के साथ लंबी बैठक की थी।

अफगानिस्तान से विदेशी सेना की संभावित वापसी बातचीत पर एक मसौदा समझौते को अंतिम रूप देने और देश में 17 साल से चले आ रहे युद्ध को खत्म करने के इरादे से की गयी यह बैठक कई दिनों तक चली थी। अमेरिका और अन्य देश लंबे समय से यह शिकायत करते रहे हैं कि पाकिस्तान ने आतंकवादी नेटवर्कों को पनाहगाह मुहैया कराई है और उन्हें अफगानिस्तान में सीमा पार से हमले की इजाजत देता है।

अफगानिस्तान के पूर्व गृह मंत्री अमरुल्ला सालेह के तैयार बयान को अमेरिका के लिए पाकिस्तान के पूर्व दूत हुसैन हक्कानी ने पढ़कर सुनाया। आखिरी समय में किसी वजह से सालेह अमेरिका नहीं आ सके थे। बयान में सालेह ने कहा, ‘‘यह समूचे अफगानिस्तान की मांग है कि पाकिस्तान में पनाहगाहों और तालिबान तथा अन्य आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान सेना के समर्थन का मुद्दा... इस एजेंडा (शांति वार्ता) में शामिल किया जाए।’’

‘हडसन इंस्टीट्यूट ऑफ थिंक-टैंक’ को संबोधित करने के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान और पाकिस्तान सरकार को निश्चित रूप से अपने नापाक रिश्ते की सच्चाई जाहिर करनी चाहिए। इस खूनी संघर्ष ने हमारे देश के जनमानस पर गहरा जख्म छोड़ा है, जिस पर मरहम लगाने की जरूरत है। अफगानिस्तान के सहयोगी देशों को हमारे निरंतर बलिदान के सम्मान में निश्चित रूप से साथ खड़े होना चाहिए ताकि इन मसलों पर हम खुद चर्चा करें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि अमेरिका ने तालिबान के साथ सीधी बातचीत शुरू की है। दोहा में करीब 16 दिन तक चली गुप्त वार्ता के बाद खलीलजाद ने ट्वीट किया कि वह इस मसौदा समझौते को लेकर तालिबान के साथ समझौते पर पहुंच गए हैं। क्या वार्ता में तालिबान ने भी वैश्विक आतंकवाद का प्रतिनिधित्व किया था? यह हम नहीं जानते।’’ सालेह ने कहा कि अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच सीधी वार्ता के लिए कोई विकल्प नहीं है।

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