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अफगानिस्तान में जंग के लिए तैयार तालिबान और पंजशीर के 'शेर'? बातचीत हुई फेल

तालिबानी नेताओं और पंजशीर के नेताओं के बीच बातचीत के जरिए सुलह की कोशिश की गई थी, जो नाकाम रही है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 02, 2021 12:01 IST
Training exercise in Panjshir province.- India TV Hindi
Image Source : AP/PTI Training exercise in Panjshir province.

काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान कब्जा तो कर चुका है लेकिन उसे पंजशीर के 'शेर' टक्कर दे रहे हैं। तालिबान का देश का 34 में से 33 प्रांतों पर कब्जा है जबकि 34वां प्रांत पंजशीर अभी उसकी पहुंच से बाहर है। तालिबानी लड़ाकों और पंजशीर के प्रतिरोधी बल के बीच झड़प की खबरें भी आती रही हैं। ऐसे में तालिबानी नेताओं और पंजशीर के नेताओं के बीच बातचीत के जरिए सुलह की कोशिश की गई थी, जो नाकाम रही है।

अफगान मीडिया के अनुसार, तालिबान के मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन आयोग के प्रमुख मुल्ला अमीर खान मोटाकी ने कहा कि 'कबायली बुजुर्गों और पंजशीर के नेताओं के साथ उनकी बातचीत विफल रही।' मोटाकी ने कहा कि 'तालिबान ने परवान प्रांत के पंजशीर के कबायली नेताओं से बात की, वह बेकार रही।" ऐसे में युद्ध की स्थिति बनने की काफी संभावनाएं हैं क्योंकि तालिबान के लिए पंजशीर से उठा विद्रोह किसी खतरे से कम नहीं है।

पंजशीर घाटी में तालिबान के खिलाफ बहुत गुस्सा है। लोग विद्रोह कर रहे हैं। पंजशीर के प्रतिरोधी बल की जंग के लिए ट्रेनिंग करते हुए भी कई तस्वीरें सामने आई हैं। तालिबान से लड़ने के लिए पंजशीर के 'शेर' खुद को तैयार कर रहे हैं। हाल में ही खबरें भी आई थीं कि पंजशीर के प्रतिरोधी बल ने दर्जनों तालिबानी लड़ाकों को मार गिराया था।

पंजशीर घाटी में घुसने से क्यों घबराता है तालिबान?

तालिबान के लिए पंजशीर घाटी गले की फांस बनी हुई है, जिसपर हमला करना आसान नहीं है और बातचीत से कोई हल नहीं निकला है। तालिबान को पता है कि पंजशीर पर हमला करना, उसकी बड़ी गलती साबित हो सकती है क्योंकि घाटी की बनावट बाहर से आने वालों के लिए युद्ध को मुश्किल बना देती है जबकि वहां रहने वाले लोगों को इसका फायदा मिलता है।

कहा जाता है कि पंजशीर घाटी की भौगोलिक बनावट ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। यह ढाल की तरह काम करती है। इलाके की भौगोलिक बनावट ऐसी है, जहां कोई भी सेना घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। दरअसल, यह इलाका चारों ओर से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। इलाके की भूलभुलैया बहुत खतरनाक है। इस इलाके को समझना किसी बाहरी शख्स के लिए आसान नहीं है।

पंजशीर घाटी उत्तर-मध्य अफगानिस्तान में स्थित है। यह राजधानी काबुल से करीब 150 किमी उत्तर में है। हिंदु कुश पर्वतों के पास स्थित इस घाटी में करीब एक लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, जिसमें अफगानिस्तान के सबसे बड़े ताजिक समुदाय के लोग भी शामिल हैं। यह इलाका नॉर्दन अलायंस के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद का गढ़ है, उन्हें यहां 'शेर-ए-पंजशीर' भी कहा जाता है।

अजेय है पंजशीर घाटी!

तालिबान भले ही पूरे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा होने का दावा कर रहा हो लेकिन सच्चाई यह है कि तालिबान ने यहां की पंजशीर घाटी में घुसने की अभी तक हिम्मत नहीं की है। पंजशीर घाटी पर तालिबान का कब्जा नहीं है। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल सहित देश के ज्यादातर हिस्से तालिबानी लड़ाकों के कब्जे में हैं लेकिन पंजशीर घाटी अब भी आजाद है। तालिबान अभी यहां नहीं पहुंच पाया है।

सिर्फ अभी ही नहीं बल्कि तालिबान कभी भी इस इलाके में अपने पैर नहीं जमा पाया है। आज तक तालिबान की कभी हिम्मत नहीं हुई कि वह पंजशीर घाटी पर कब्जा कर सके। वहीं, उससे पहले 1970 के दशक में सोवियत संघ भी कभी पंजशीर घाटी पर अपना कब्जा नहीं जमा पाया। सोवियत संघ के अलावा अमेरिकी सेना ने भी इस इलाके में सिर्फ हवाई हमले ही किए जबकि जमीन के रास्ते कभी कार्रवाई नहीं की।

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