Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. एशिया
  4. दक्षिण एशिया में कोरोना फैलाने में सबसे बड़े वाहक हो सकते हैं तबलीगी जमात के प्रचारक

दक्षिण एशिया में कोरोना फैलाने में सबसे बड़े वाहक हो सकते हैं तबलीगी जमात के प्रचारक

तब्लीगी जमात आधुनिकता को खारिज करते हुए पैगंबर मोहम्मद के समय की प्रणाली को अपनाने के लिए प्रचार करती है। यही विचारधारा वहाबी-सलाफिस्ट की भी है, जिसका कई इस्लामिक आतंकवादी समूह भी अनुसरण करते हैं। तब्लीगी जमात को इस्लाम को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते धर्मों में से एक बनाने का श्रेय दिया जाता है।

Written by: IANS
Updated on: March 31, 2020 18:35 IST
Coronavirus- India TV Hindi
Image Source : PTI Representational Image

नई दिल्ली/इस्लामाबाद. इस्लामिक प्रचारक तबलीगी जमात के सदस्यों को कई एशियाई देशों में कोरोनावायरस महामारी प्रतिबंध के बीच बड़ी धार्मिक सभाओं में हिस्सा लेकर प्रचार करते पाया गया है, जहां सैकड़ों लोग संक्रमित हुए हैं। इस समुदाय की यह लापरवाही कई देशों के लोगों पर भारी पड़ती दिख रही है।

हर साल फरवरी और मार्च में दुनिया भर के दस लाख से अधिक इस्लामिक उपदेशक दक्षिण एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में इस्लामिक प्रचार-प्रसार से संबंधित कार्यक्रमों के लिए आते हैं। चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर से दिसंबर में नोवेल कोरोनावायरस की शुरुआत होने के बाद इसके संक्रमण को रोकने के लिए कई देशों ने यात्रा प्रतिबंध लगाए। हालांकि इस्लामाबाद के सूत्रों ने कहा कि तब्लीगी जमात अपने पूर्व नियोजित समारोहों के साथ आगे बढ़ा।

पाकिस्तानी मीडिया ने सोमवार को बताया कि हैदराबाद व सिंध में जमात के सदस्यों के बीच वायरस संबंधी सामुदायिक प्रसार के 36 मामलों का पता चला। कोरोनावायरस से हुई कम से कम दो मौतों को सीधे तौर पर जमात की रायविंड में हुई सभा से जोड़कर देखा गया है। ये मामले नूर मस्जिद से रिपोर्ट किए गए थे, जहां शुरू में लगभग 200 जमात सदस्यों को एकांतवास में रखा गया। इस समूह के 19 वर्षीय चीनी मूल के सदस्य के 27 मार्च को कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद सिंध में जमात के दूसरे सबसे बड़े केंद्र नूर मस्जिद को बंद कर दिया गया था।

पाकिस्तान मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वे स्वात से रायविंड पहुंचे थे और फिर इस्लामिक समारोह के लिए हैदराबाद की नूर मस्जिद गए थे। वहां से वे इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार के लिए सेहरिश नगर गए और अब मक्की मस्जिद में हैं। इस्लामाबाद के सूत्रों ने कहा कि फिलिस्तीन और किर्गिस्तान सहित लगभग 80 देशों के हजारों मुस्लिम प्रचारक सिंध में मार्च की शुरुआत में हुई तब्लीगी जमात की सभा में शामिल हुए। सूत्रों ने कहा कि कोरोना के सैकड़ों मामले पॉजिटिव पाए जाने के बाद सरकार द्वारा इस समूह के कार्यक्रम को बंद कराया गया।

भारत में मार्च के पहले सप्ताह में लगभग 250 विदेशी नागरिक तब्लीगी जमात द्वारा आयोजित एक धार्मिक मण्डली में शामिल होने के लिए नई दिल्ली के निजामुद्दीन पहुंचे। इस सभा में 1,700 से 1,800 भारतीय और विदेशी लोग शामिल हुए थे। कई विदेशी सदस्य इस्लाम के प्रचार के लिए विभिन्न राज्यों में गए और वे पर्यटक वीजा पर थे। मण्डली के नौ भारतीय प्रतिभागियों की कोरोनोवायरस संक्रमण से मौत हो चुकी है। नौ में से छह की मौत तेलंगाना में, जबकि तमिलनाडु, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर में एक-एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। इसके अलावा विदेशी नागरिकों में से एक की मौत हो गई है और 19 अन्य संक्रमित पाए गए हैं।

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार दोपहर तक इन समूह से जुड़े कुल 1,830 लोगों की पहचान की है। इनमें तमिलनाडु से 501, असम से 216, उत्तर प्रदेश से 156, मध्य प्रदेश से 107, महराष्ट्र से 109, बिहार से 86 और पश्चिम बंगाल से 73 लोग शामिल हैं। मलेशियाई मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी के अंत और मार्च की शुरुआत में तब्लीगी जमात की सभा में ही देश में कोरोना के फैले कुल मामलों में से आधे से अधिक का पता लगाया गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि मलेशिया में मण्डली में भाग लेने वाले इस्लामिक प्रचारकों ने ब्रुनेई और थाईलैंड में भी वायरस फैलाया था।

तब्लीगी जमात आधुनिकता को खारिज करते हुए पैगंबर मोहम्मद के समय की प्रणाली को अपनाने के लिए प्रचार करती है। यही विचारधारा वहाबी-सलाफिस्ट की भी है, जिसका कई इस्लामिक आतंकवादी समूह भी अनुसरण करते हैं। तब्लीगी जमात को इस्लाम को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते धर्मों में से एक बनाने का श्रेय दिया जाता है।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Asia News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement