पेशावर (पाकिस्तान): पाकिस्तान के पेशावर शहर में एक चुनावी सभा के दौरान आत्मघाती विस्फोट में अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के वरिष्ठ नेता हारुन बिल्लौर सहित कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए। यह विस्फोट आधी रात से ठीक पहले हुआ जब बिल्लौर एएनपी के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ भीड़भाड़ वाले याकातूत इलाके में पार्टी की एक बैठक के लिए एकत्रित हुए थे। विस्फोट बिल्लौर के वाहन के पास हुआ। बिल्लौर के पिता एवं एएनपी के वरिष्ठ नेता बशीर अहमद बिल्लौर भी 2012 में पेशावर में पार्टी की एक बैठक के दौरान तालिबान के हमलावर द्वारा किए गए आत्मघाती हमले में मारे गए थे।
पाकिस्तानी तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी
डॉन समाचारपत्र ने लेडी रीडिंग अस्पताल के प्रवक्ता जुल्फीकार अली बाबा खेल के हवाले से बताया कि शुरुआत में मृतकों की संख्या 13 बताई गई थी लेकिन रात भर में मरने वालों की संख्या बढ़कर 20 हो गई। घायलों को इसी अस्पताल में लाया गया था। शहर के पुलिस प्रमुख काजी जमील ने बताया कि मरने वालों में पेशावर के पीके -78 निर्वाचन क्षेत्र से एएनपी के उम्मीदवार बिल्लौर भी शामिल हैं। विस्फोट में 30 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। पाकिस्तानी तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। पाकिस्तानी तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासनी ने एक बयान में बताया कि संगठन ने एएनपी की रैली को निशाना बनाया जिसमें बिल्लौर की मौत हुई। विस्फोट में बिल्लौर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
विस्फोट में 8 किलोग्राम टीएनटी विस्फोटकों का इस्तेमाल हुआ
बम निष्क्रिय दस्ता के प्रमुख शफकत मलिक ने बताया कि विस्फोट में आठ किलोग्राम टीएनटी विस्फोटकों का इस्तेमाल हुआ। राहत एवं बचाव टीम घटनास्थल पर है और घटना की जांच शुरू कर दी गई है। पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले आम चुनावों से पहले किसी चुनावी रैली पर होने वाला यह दूसरा बड़ा आतंकवादी हमला है। एएनपी समर्थकों ने अस्पताल के बाहर इकठ्ठा होकर उनके नेता को सुरक्षा मुहैया नहीं करा पाने के लिए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। पाकिस्तान के मुख्य चुनाव आयुक्त सरदार मुहम्मद रजा ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने एक बयान में कहा, “यह हमारे सुरक्षा संस्थानों की कमजोरी और निष्पक्ष चुनाव के खिलाफ साजिश को दर्शाता है।” एएनपी पाकिस्तान की मुख्यधारा की राष्ट्रीय पार्टी है जिसके अध्यक्ष राष्ट्रवादी नेता अब्दुल गफ्फार खान के पोते असफंदयार वली खान हैं।
2013 में भी हुई सैकड़ों एएनपी नेताओं और समर्थकों की हत्या
एएनपी ने 2008 से 2013 तक खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत पर शासन किया था। धर्मनिरपेक्ष विचारधारा रखने और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए वह तहरीक - ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के निशाने पर रही है। आतंकवादियों ने 2013 के चुनाव के आस-पास हमलों में सैकड़ों एएनपी नेताओं और समर्थकों की हत्या की थी। राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी अधिकरण (एनएसीटीए) ने सोमवार को सीनेट की एक स्थायी समिति को बताया था कि पाकिस्तान में आम चुनावों से पहले कुछ प्रमुख नेताओं को आतंकवादी संगठनों की ओर से मौत की धमकी दी जा रही है।