कोलंबो: उच्चतम न्यायालय के दो अहम फैसलों के चलते प्रधानमंत्री पद पर बने रहना अवैधानिक हो जाने के बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्षे आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया जो देश में करीब दो महीने से जारी सत्ता संघर्ष के समापन का संकेत है। अब खबरें हैं कि रविवार को विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
राजपक्षे के इस्तीफा देने से पहले उनके बेटे नमाल राजपक्षे ने ट्वीट किया, ‘‘देश में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे ने राष्ट्र को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है।’’ वहीं कल दिन में उच्चतम न्यायालय ने अगले महीने पूरी तरह सुनवाई करने तक महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्री पद पर बने रहने पर एक अन्य अदालत की रोक पर शुक्रवार को स्थगन लगाने से इनकार कर दिया।
दरअसल राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने एक विवादास्पद कदम के तहत 26 अक्टूबर को रानिल विक्रमसिंघे को हटाकर राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाया था जिसके बाद देश में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया था। सांसद नमाल ने कहा कि राष्ट्रपति सिरिसेना के साथ वृहद राजनीतिक गठबंधन के लिए श्रीलंका पोडुजन पेरामुना (एसएलपीपी), श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) तथा दूसरे दलों से मिलकर काम करेगी।
विक्रमसिंघे खेमे को उम्मीद है कि सिरिसेना राजपक्षे के इस्तीफे के बाद उन्हें इस सप्ताहांत उनके पर पद बहाल कर देंगे। इससे राजनीतिक गतिरोध समाप्त हो जाएगा जो करीब सात हफ्ते से चल रहा है। वैसे इस संकट के सूत्रधार समझे जाने वाले राष्ट्रपति सिरिसेना की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को फैसला दिया कि राजपक्षे की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति और उनके मंत्रिमंडल के अपने पद (अस्तित्व में) पर बने रहने के विरुद्ध अपीली अदालत का आदेश बरकरार रहेगा।
राजपक्षे की अपील पर उच्चतम न्यायालय में 16,17 और 18 जनवरी को सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों को तीन सप्ताह के अंदर लिखित रूप से अपना पक्ष रखने को कहा। अपीली अदालत ने तीन दिसंबर को राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ नोटिस और अंतरिम आदेश जारी किया था तथा उन्हें प्रधानमंत्री, कैबिनेट और उप मंत्री के रूप में कार्य करने से रोक दिया था। राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ 122 सांसदों द्वारा दर्ज कराये गये मामले पर यह अदालती आदेश जारी किया गया था।
राजपक्षे और कथित सरकार के सदस्यों ने उन्हें कामकाज से रोकने के अपीली अदालत के आदेश के विरुद्ध (उच्चतम न्यायालय में) अपील की थी। यूनाइटेड नेशनल फ्रंट ने कहा कि आदेश का मतलब राजपक्षे प्रधानमंत्री नहीं हो सकते, अत: पूर्व मंत्रिमंडल को बहाल किया जाए। फ्रंट के सांसद अजीत पेरेरा ने कहा कि राष्ट्रपति को अब रानिल विक्रमसिंघ को प्रधानमंत्री नियुक्त करना चाहिए।
ऐसे में खबरें तेज हो गई हैं कि रानिल विक्रमसिंघे के रविवार को दोबारा प्रधामंत्री पद की शपथ लेने की उम्मीद है। कोलंबो पेज की एक रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना बर्खास्त किए जा चुके प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को दोबारा इस पद पर नियुक्त करने के लिए कथिततौर पर तैयार हैं। राष्ट्रपति ने शुक्रवार को उनसे फोन पर बातचीत की थी। विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) ने कहा कि बातचीत के दौरान ये तय हुआ कि वो रविवार को सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।