सोल: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने आज परमाणु रिएक्टर निर्मित करने की सभी योजनाओं को खत्म कर देश को एशिया की परमाणु क्षमताओं से रहित चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प लिया। मून ने परमाणु उर्जा को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का अभियान चलाया और सौर एवं पवन उर्जा जैसे पर्यावरण के अनुकूल एवं अधिक सुरक्षित स्रोतों को अपनाने की बात कही। मार्च 2011 में आए भीषण भूकंप के दौरान जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के हादसे से दक्षिण कोरिया के लोगों में उसके अपने परमाणु संयंत्रों को लेकर चिंता उत्पन्न हो गई थी। (भारत ने ब्रिक्स देशों के साथ गहरे संबंधों को बढ़ाने की बात कही)
मून ने कहा, हम अपनी सभी परमाणु केंद्रित ऊर्जा आपूर्त को खत्म कर और परमाणु रहित युग के लिए अपना दरवाजा खोलेंगे। उन्होंने कहा, मैं नए परमाणु रिएक्टर निर्मित करने की सभी पिरयोजनाओं को खत्म कर दूंगा और वर्तमान रिएक्टरों के जीवनकाल को भी और नहीं बढ़ाया जाएगा। मून ने कहा कि कई रिएक्टर खतरनाक रूप से घनी आबादी वाले आवासीय इलाके के समीप स्थित हैं और परमाणु के पिघलने पर इससे अकल्पनीय परिणामों को सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा, दक्षिण कोरिया भूकंप के खतरे से सुरक्षित नहीं है और भूकंप से होने वाली परमाणु दुर्घटना का विनाशकारी प्रभाव होगा। दक्षिण कोरिया फिल्हाल 25 परमाणु संयंत्रों का संचालन करता है, जो देश की उर्जा आपूर्त का लगभग 30 प्रतिशत निर्माण करता है। सरकारी परमाणु उर्जा एजेंसियों में हाल ही के वर्षों हुए प्रमुख भ्रष्टाचार घोटालों और पिछले साल आए सिलसिलेवार भूकंप से प्लांट की सुरक्षा पर सार्वजनिक अविश्चास एवं चिंता उत्पन्न हुई है।