सोल: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन ने आज कहा कि युद्ध के समय यौन दासता में धकेली गयीं कोरियाई महिलाओं को लेकर दशक पुराने गतिरोध को खत्म करने के लिये वर्ष 2015 में जापान के साथ हुआ दक्षिण कोरिया का समझौता दोषपूर्ण है। एक दिन पहले ही सरकार द्वारा नियुक्त पैनल इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि दक्षिण कोरिया की पूर्ववर्ती सरकार इस समझौते तक पहुंचने से पहले पीड़ितों के साथ उचित तरीके से संवाद करने में नाकाम रही थी, जिसके बाद मून का यह बयान सामने आया है। (टाइम्स स्क्वायर पर लगा फ्री बलूचिस्तान अभियान का विज्ञापन )
पैनल ने यह भी कहा कि समझौते के कई हिस्सों को सार्वजनिक नहीं किया गया, जिसमें जापान की वह मांग भी शामिल है कि दक्षिण कोरिया सरकार ‘‘यौन दासता’’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करे और सोल दूतावास के सामने स्थापित यौन दासता को दर्शाती कांसे की एक प्रतिमा को हटाने के लिये विशिष्ट योजना उपलब्ध कराये। पैनल के अनुसार इसके जवाब में दक्षिण कोरिया ने इस प्रतिमा को हटाने के लिये कोई स्पष्ट वादा नहीं किया। मून के प्रवक्ता के अनुसार राष्ट्रपति ने अपने बयान में कहा कि इस बात की पुष्टि हो गयी है कि दक्षिण कोरिया एवं जापान के बीच ‘2015 कम्फर्ट वुमन समझौता’ ‘प्रक्रिया एवं सामग्री’ दोनों आधार पर दोषपूर्ण है। यौन दासता में धकेली जानी वाली महिलाओं को ‘कम्फर्ट वुमन’ कहा जाता था।
इस समझौते के तहत जापान युद्ध के समय यौन दासता में धकेली गयीं जीवित बचीं महिलाओं को नकद भुगतान करने पर सहमत हुआ था जबकि दक्षिण कोरिया ने कहा था कि वह दूतावास के सामने लगी प्रतिमा को लेकर जापान की शिकायत का समाधान करने की कोशिश करेगा। इस समझौते की दक्षिण कोरिया में कड़ी आलोचना हुई थी। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा कि समझौते में कोई बदलाव करना है या नहीं, इस बात पर किसी फैसले से पहले सरकारी अधिकारी पीड़ितों एवं विशेषज्ञों के साथ विस्तृत चर्चा करेंगे जबकि जापानी अधिकारियों ने कहा कि इस संबंध में फिर से बातचीत अस्वीकार्य है।