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पाकिस्तान: जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून पर झुक गई सिंध सरकार

धार्मिक दलों के दबाव के आगे घुटने टेकते हुए सिंध प्रांत की सरकार ने घोषणा की है कि वह जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ हाल में पारित कानून में संशोधन करेगी।

IANS
Updated on: December 17, 2016 21:32 IST
Representative Image | AP Photo- India TV Hindi
Representative Image | AP Photo

कराची: धार्मिक दलों के दबाव के आगे घुटने टेकते हुए सिंध प्रांत की सरकार ने घोषणा की है कि वह जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ हाल में पारित कानून में संशोधन करेगी। धार्मिक दलों ने इस कानून के विरोध में आंदोलन चलाने और प्रांतीय विधानसभा भवन को घेर लेने की धमकी दी थी।

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यह विधेयक नवंबर के आखिरी हफ्ते में पारित हुआ था और इसका मकसद अल्पसंख्यकों की रक्षा करना था। इसमें यह प्रावधान किया गया था कि धर्म परिवर्तन के लिए किसी व्यक्ति का 18 वर्ष का होना अनिवार्य है। सिंध विधानसभा ने सर्वसम्मति से सिंध क्रिमिनल लॉ (प्रोटेक्शन ऑफ माइनॉरिटीज) विधेयक 2015 को पारित किया था। यह विपक्षी दल पाकिस्तानी मुस्लिम लीग के विधायक नंद कुमार का निजी विधेयक था। इस नए पारित कानून से धार्मिक दलों में नाराजगी बढ़ गई। उन्होंने इस कानून को इस्लाम की मूल भावना और रीति के खिलाफ करार दिया।

धार्मिक दलों का मानना है कि इस नए कानून से धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए इस्लाम कबूल करना मुश्किल हो जाएगा। उन दलों ने खासकर उस कानूनी प्रावधान की आलोचना की है जिसमें किसी व्यक्ति के धर्म परिवर्तन के लिए उसका 18 वर्ष का होना अनिवार्य है। इन दलों के नेताओं ने इस कानून को तत्काल रद्द करने की मांग की है और भविष्य में इस तरह के सभी कानूनों को इस्लामिक विचारधारा परिषद से पुष्टि कराने की बात कही ताकि उनमें सुधार इस्लाम की शिक्षा के अनुसार हो। प्रांतीय संसदीय कार्यमंत्री निसार अहमद खुहरो ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि सिंध सरकार ने कानून में सुधार करने का निर्णय लिया है।

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