बीजिंग: 27 अप्रैल को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने चीन और 5 दक्षिण एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मलेन की अध्यक्षता के दौरान कहा कि चीन भारतीय पक्ष की जरूरत के मुताबिक समय पर भारतीय जनता को मदद देने को तैयार है। चीन के संबंधित उद्यम सरकार के समर्थन के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं और पहले जत्थे की ऑक्सीजन बनाने वाली मशीनें भारत पहुंचाई गई हैं। इससे पहले, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता और भारत स्थित चीनी दूतावास ने कई बार साफ कहा था कि चीन विभिन्न तरीकों से कोरोना के मुकाबले में भारत को मदद देने की यथासंभव कोशिश करने को तैयार है। लेकिन भारतीय पक्ष ने चीन की पेशकश पर औपचारिक टिप्पणी नहीं की है, तो सवाल उठता है कि क्या भारत को चीन की सहायता नहीं लेनी चाहिए? स्थानीय विश्लेषकों के विचार में अगर अधिक बड़े दृष्टिकोण से देखा जाए, तो भारत को चीन की कोरोना विरोधी सामग्री को निसंकोच स्वीकार करना चाहिए।
पहला, समग्र मानवीय हितों की दृष्टि से चीन की सहायता को देखा जाना चाहिए। कोरोना वायरस की कोई सीमा नहीं होती। महामारी पूरे विश्व में फैल रही है। इस दौरान कोई भी देश अकेले इससे नहीं लड़ सकता। सिर्फ एकजुट होकर ही इस वायरस को पराजित किया जा सकता है। अब भारत कोरोना के साथ वैश्विक लड़ाई में मुख्य युद्ध मैदान बन चुका है। पूरी दुनिया को उम्मीद है कि भारत जल्द ही कोरोना के फैलाव को फिर काबू में लाएगा। भारत की आबादी 1 अरब 30 करोड़ से ज्यादा है और उसके विश्व के अन्य देशों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। अगर भारत में कोरोना पर नियंत्रण न हुआ, तो पूरे विश्व को बड़ा झटका लगेगा और भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। यह युद्ध मानवता और वायरस के बीच चल रहा है। इसके कारण भारत का चीन समेत विभिन्न देशों की सहायता प्राप्त करना स्वाभाविक बात है।
गौरतलब है कि जब चीन का वुहान शहर कोरोना के साथ निर्णायक लड़ाई लड़ रहा था, भारत ने चीन को 15 टन राहत सामग्री पहुंचाई, जिसमें मास्क, दस्ताने और आपात चिकित्सक उपकरण शामिल थे।
दूसरा, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय दृष्टि से चीन की सहायता को देखा जाना चाहिए। भारत में कोरोना महामारी तांडव मचा रही है। हर दिन नए मामलों और नई मौतों की संख्या तेजी बढ़ रही है। बुधवार की सुबह तक कोरोना संक्रमण से मृतकों की कुल संख्या 2 लाख से अधिक हो गई है और पिछले 24 घंटे में 3,293 लोगों की मौत हुई है। अब भारत चिकित्सा सामग्री की गंभीर किल्लत का सामना कर रहा है। स्थानीय मीडिया का कहना है कि अगर ऑक्सीजन, वेंटीलेटर और संबंधित दवा की कमी नहीं होती, तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी। शायद थोड़ा ऑक्सीजन लेने से लोग बच सकते थे। ऐसी दुखद स्थिति में भारत सरकार को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अधिक मांग करनी चाहिए।
तीसरा, संबंधित चिकित्सा सामग्री की सप्लाई में चीन एक विश्वसनीय स्रोत है। चीन विश्व में सबसे बड़ा मैन्यूफैक्च रिंग देश है और कोरोना रोधी सामग्री बनाने की खूब क्षमता है। अगर भारत को चीन की सहायता मिले, तो चिकित्सा साग्रमी के अभाव की स्थिति में बड़ा सुधार आएगा। विश्लेषकों के विचार में अभी भू-राजनीतिक खेल का समय नहीं है, वर्तमान नाजुक समय में ऐसे मुद्दों को भूलकर लोगों की जान बचाना सर्वोपरि है।
(साभार : चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)