SCO Summit किर्गिजस्तान के बिश्केक में SCO सम्मेलन के दौरान लीडर्स लॉन्ज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का आमना-सामना हुआ और दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच कुछ सेकेंड की बातचीत भी हुई। सूत्रों के अनुसार, दोनों का आमना-सामना उस समय हुआ, जब दोनों लीडर्स लाउंज में थे। पुलवामा में फरवरी में एक सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में आई खटास के बाद दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच यह अपने तरह का पहला अभिवादन का आदान-प्रदान था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल पर नेताओं के लाउंज में मोदी और खान ने एक दूसरे का अभिवादन किया। समझा जाता है कि दोनों की आमने-सामने की पहली बातचीत के दौरान खान ने मोदी को चुनाव में मिली जीत की बधाई दी। हालांकि सूत्रों ने बताया कि दोनों की कोई बैठक नहीं हुई।
मोदी और खान दोनों यहां एससीओ के वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आए हैं। दो सप्ताह पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने-अपने भारतीय समकक्षों को पत्र लिखकर द्विपक्षीय वार्ता को फिर से शुरू करने की हिमायत की थी।
जनवरी 2016 में पठानकोट में वायुसेना के अड्डे पर पाकिस्तान के एक आतंकवादी संगठन के हमले के बाद से भारत पाकिस्तान से बातचीत नहीं कर रहा है और अपने इस रुख पर कायम है कि बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। खान ने 26 मई को मोदी को टेलीफोन कर के भी दोनों देश के लोगों की बेहतरी के लिए साथ मिलकर काम करने की इच्छा प्रकट की थी ।
वहीं मोदी ने कहा कि क्षेत्र में शांति स्थापित करने और समृद्धि बढ़ाने के लिए हिंसा एवं आतंकवाद मुक्त माहौल बनाना और भरोसा पैदा करना आवश्यक है। प्रधानमंत्री मोदी को किए गए फोन कॉल एवं पत्र के बाद ऐसी अटकलें थी कि दोनों यहां एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर एक मुलाकात कर सकते हैं।
इससे पहले भारत और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अन्य सदस्य देशों ने शुक्रवार को आतंकवाद के हर स्वरूप की निंदा की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद से मुकाबले में सहयोग बढ़ाने की अपील की। एससीओ की राष्ट्राध्यक्ष परिषद के बिश्केक घोषणा-पत्र के मुताबिक, सदस्य देशों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवादी एवं चरमपंथी कृत्यों को सही नहीं ठहराया जा सकता।
घोषणा-पत्र में कहा गया कि आतंकवाद, आतंकवादी एवं चरमपंथी विचारधारा का फैलाव, जनसंहार के हथियारों का प्रसार, हथियारों की होड़ जैसी चुनौतियां और सुरक्षा संबंधी खतरे सीमा पार प्रकृति के होते जा रहे हैं। इन पर वैश्विक समुदाय द्वारा विशेष ध्यान देने, बेहतर समन्वय और रचनात्मक सहयोग करने की जरूरत है। बिश्केक घोषणा-पत्र के मुताबिक, ‘‘सदस्य राष्ट्र आतंकवाद के हर स्वरूप की निंदा करते हैं।’’
घोषणा-पत्र में कहा गया, ‘‘वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान करते हैं कि आतंकवाद से मुकाबले में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दें। इसमें संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका हो, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों को बगैर किसी राजनीतिकरण और दोहरे मानदंड के पूरी तरह लागू करेगा और ऐसा करते हुए सभी देशों की संप्रभुता एवं आजादी के प्रति आदर का भाव रखेगा।’’ (इनपुट-एजेंसी)